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Sunday, August 3, 2025

सोशल मीडिया की चकाचौंध और अंतिम विदाई का सन्नाटा: कंचन कौर की कहानी

भटिंडा, 19 जून 2025, गुरुवार: सोशल मीडिया की दुनिया में लाखों फॉलोअर्स की चमक-दमक के बीच एक दुखद हकीकत सामने आई है। भटिंडा की मशहूर इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी, जिन्हें कमल कौर भाभी के नाम से जाना जाता था, की अंतिम यात्रा में मात्र तीन लोग शामिल हुए। उनकी तेहरवीं में भी पंडित समेत केवल चार लोग पहुंचे। यह घटना सोशल मीडिया की आभासी लोकप्रियता और वास्तविक जीवन के बीच के फासले को उजागर करती है।

कंचन कुमारी (30) का शव 11 जून 2025 को भटिंडा के अदश मेडिकल यूनिवर्सिटी के पार्किंग स्थल पर उनकी कार में संदिग्ध हालत में मिला था। पुलिस ने इसे हत्या का मामला मानकर जांच शुरू की। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनकी मौत गला घोंटने से हुई थी। दो निहंग सिखों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने कंचन के कथित ‘अश्लील’ कंटेंट और ‘कौर’ नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी। मुख्य आरोपी अमृतपाल सिंह मेहरों फरार है, जिसने कंचन की हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अन्य इन्फ्लुएंसर्स को भी धमकी दी।

कंचन के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स थे। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर 4.34 लाख, फेसबुक पर 5 लाख और यूट्यूब चैनल ‘फनी भाभी टीवी’ पर 2 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स थे। उनकी बोल्ड और विवादास्पद रील्स ने उन्हें पंजाब में एक जाना-माना चेहरा बना दिया था। लेकिन इस लोकप्रियता का दूसरा पहलू तब सामने आया, जब उनकी अंतिम विदाई में उनके परिवार के सिर्फ तीन लोग—मां, बहन और एक भाई—मौजूद थे। उनका दूसरा भाई भी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।

कंचन की मां गिरिजा ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी अक्सर प्रमोशनल काम के लिए यात्रा करती थी। वह लुधियाना के लछमन कॉलोनी में रहती थीं और अपने परिवार की मुख्य कमाने वाली थीं। उनके पिता का निधन पांच-छह साल पहले हो चुका था, और उनकी मां गृहिणी हैं। कंचन के परिवार की पृष्ठभूमि प्रवासी मजदूरों की थी, लेकिन उनकी धाराप्रवाह पंजाबी और बिंदास अंदाज ने उन्हें डिजिटल दुनिया में अलग पहचान दी।

सोशल मीडिया पर कंचन को सात महीने पहले कुख्यात आतंकी अर्श डल्ला से धमकी मिली थी, जिसमें उनके कंटेंट को ‘अशोभनीय’ बताकर सुधारने की चेतावनी दी गई थी। इसके अलावा, कुछ निहंगों ने उनके वीडियोज को ‘अनैतिक’ बताते हुए आपत्ति जताई थी। पुलिस का मानना है कि उनकी हत्या ‘मोरल पुलिसिंग’ का परिणाम थी, जिसमें उनके बोल्ड कंटेंट और ‘कौर’ नाम के इस्तेमाल को लेकर सिख समुदाय के कुछ वर्गों में नाराजगी थी।

इस घटना ने सिख समुदाय में बहस छेड़ दी है। श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने हत्या को जायज ठहराते हुए ‘कौर’ नाम के दुरुपयोग पर सवाल उठाए, जबकि कई अन्य लोगों ने इस कृत्य की निंदा की।

कंचन की मौत और उनकी अंतिम यात्रा में लोगों की गैरमौजूदगी ने सोशल मीडिया की दुनिया पर सवाल उठाए हैं। लाखों फॉलोअर्स होने के बावजूद, उनके अंतिम क्षणों में उनके साथ केवल परिवार के कुछ लोग थे। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “कभी फॉलोअर्स का घमंड मत करना… निजी जीवन में सिर्फ परिवार काम आता है।” यह घटना उन लोगों के लिए सबक है, जो सोशल मीडिया की चमक को असली जिंदगी का पैमाना मान बैठते हैं।

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