लखनऊ, 17 जून 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों अफसरशाही का दखल और बदमिजाजी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक, कई वरिष्ठ मंत्रियों ने बढ़ते नौकरशाही हस्तक्षेप और अधिकारियों की मनमानी से नाराज होकर ट्रांसफर सेशन को ‘जीरो सेशन’ में तब्दील कर दिया है। खास तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग में हालात सबसे बदतर बताए जा रहे हैं, जहां मंत्रियों और नौकरशाहों के बीच तनातनी चरम पर पहुंच गई है।
एक सनसनीखेज वाकये में, बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री और उनके प्रमुख सचिव के बीच तीखी नोकझोंक की खबर सामने आई है। सूत्रों की मानें तो बहस इतनी गरमा गई कि मंत्री ने गुस्से में हाथ तक उठा लिया। जवाब में बदमिजाज प्रमुख सचिव ने खरी-खोटी सुनाते हुए पैर पटककर बैठक छोड़ दी और धमकी भरे लहजे में कहा, “मैं महाराज जी से बात कर लूंगा। मुझसे ज्यादा करीबी कौन है? मैं दिल्ली की कृपा से प्रमुख सचिव हूं, जो करना हो कर लीजिए!” इस घटना ने न केवल विभाग में हड़कंप मचा दिया, बल्कि सियासी गलियारों में भी सनसनी फैला दी।
पशुधन, औद्योगिक विकास, बेसिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, खादी-एमएसएमई और स्वास्थ्य जैसे कई अहम विभागों में इस बार ट्रांसफर सत्र पूरी तरह ठप हो गया। सरकार ने अब नया फरमान जारी किया है, जिसके तहत प्रमुख सचिवों को तबादलों के लिए मुख्यमंत्री की संस्तुति लेनी होगी। इस फैसले से सालों से एक ही जगह जमें कई बाबुओं और अधिकारियों को कुछ और वक्त तक ‘मलाई काटने’ का मौका मिल गया है।
सियासी जानकारों का मानना है कि मंत्रियों और नौकरशाहों के बीच यह खींचतान न केवल सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा डाल रही है। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री पर टिकी हैं, जो इस तनातनी को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। फिलहाल, यह साफ है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में अफसरशाही और मंत्रियों की यह जंग अभी और गहरा सकती है।