नई दिल्ली, 17 जून 2025, मंगलवार। भारत की जनगणना देश की सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय तस्वीर को उजागर करने का एक अनमोल अवसर है। 2027 में होने वाली जनगणना इतिहास रचेगी, क्योंकि यह पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी और आजादी के बाद पहली बार जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। 1931 के बाद पहली बार देश की सभी जातियों का डेटा संग्रह होगा। इसके साथ ही, छह नए और रोचक सवाल इस जनगणना को और भी खास बनाएंगे, जो आधुनिक जीवनशैली और विकास के नए आयामों को छूएंगे।
छह नए सवाल: आपकी जिंदगी का आईना
- इंटरनेट कनेक्शन का जादू: आपके घर में इंटरनेट है या नहीं? यह सवाल डिजिटल इंडिया के सपने को हकीकत में बदलने की प्रगति को मापेगा। सरकार जानना चाहती है कि कितने परिवार डिजिटल दुनिया से जुड़े हैं और कितने डिवाइस इसका हिस्सा हैं। यह डेटा ग्रामीण-शहरी डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
- मोबाइल-स्मार्टफोन की दुनिया: आपके पास कितने मोबाइल या स्मार्टफोन हैं और इनका मालिक कौन है? यह सवाल शिक्षा, वित्तीय समावेशन और डिजिटल सेवाओं तक पहुंच को समझने में मदद करेगा। स्मार्टफोन आज सिर्फ संचार का साधन नहीं, बल्कि ज्ञान और अवसरों का द्वार है!
- पीने का पानी, जीवन का आधार: आपके घर में पीने का पानी कहां से आता है—नल, कुआं, हैंडपंप या बोतलबंद? यह सवाल स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति को उजागर करेगा, साथ ही जल जीवन मिशन की सफलता को परखेगा।
- खाना पकाने का ईंधन: रसोई में एलपीजी, पीएनजी, लकड़ी या गोबर के कंडे—आप क्या इस्तेमाल करते हैं? यह सवाल स्वच्छ ऊर्जा और उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रमों की उपलब्धियों को सामने लाएगा, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अहम हैं।
- वाहनों का सफर: साइकिल, स्कूटर, कार या जीप—आपके पास क्या है? यह सवाल परिवहन और आर्थिक स्थिति की तस्वीर खींचेगा, जो विकास के मापदंडों को समझने में सहायक होगा।
- अनाज: पोषण का आधार: आपके घर में गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का या रागी—कौन सा अनाज राज करता है? यह सवाल खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति को उजागर करेगा, साथ ही मिलेट्स जैसे पौष्टिक अनाजों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
डिजिटल जनगणना: भविष्य की ओर एक छलांग
2027 की जनगणना पेपरलेस होगी, जिसमें एक खास मोबाइल ऐप और ऑटो-कैल्कुलेशन पोर्टल के जरिए लोग अपनी जानकारी ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। प्रत्येक व्यक्ति को एक यूनिक आईडी मिलेगी, जो डेटा की गोपनीयता और सटीकता सुनिश्चित करेगी। जीपीएस तकनीक और फील्ड सपोर्ट टूल्स डेटा संग्रह को और भी विश्वसनीय बनाएंगे।
जातिगत आंकड़े और परिसीमन का रास्ता
आजादी के बाद पहली बार जातिगत आंकड़े एकत्र होंगे, जो सामाजिक नीतियों को नई दिशा देंगे। यह डेटा 2026 में गठित होने वाले परिसीमन आयोग के लिए भी आधार बनेगा, जो लोकसभा और विधानसभा सीटों के नए सीमांकन को आकार देगा। इससे जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को लेकर दक्षिणी राज्यों में चल रही बहस और तेज हो सकती है।
कब और कैसे होगी जनगणना?
16 साल बाद, 2011 की जनगणना के बाद, सरकार ने 2027 की जनगणना के लिए अधिसूचना जारी की है। लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 और बाकी देश में 1 मार्च 2027 को 00:00 बजे संदर्भ तिथि होगी। करीब 34 लाख गणनाकर्ता और 1.3 लाख डिजिटल उपकरणों से लैस कर्मचारी इस विशाल कार्य को अंजाम देंगे, जिसका अनुमानित खर्च 13,000 करोड़ रुपये है।
क्यों खास है यह जनगणना?
यह 16वीं जनगणना और आजादी के बाद 8वीं जनगणना होगी, जो न केवल नीति निर्माण में मदद करेगी, बल्कि समाज के हर वर्ग की जरूरतों को समझने का एक मजबूत आधार देगी। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121.019 करोड़ थी, जिसमें 51.54% पुरुष और 48.46% महिलाएं थीं। अब 2027 की जनगणना एक नए, डिजिटल और समावेशी भारत की कहानी लिखेगी।