वाराणसी, 16 जून 2025, सोमवार। वाराणसी में भारत की पहली पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना के निर्माण ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। गौदोलिया चौराहे पर 25 फीट गहरे ऐतिहासिक घोड़ा नाले (शाही नाला) को टॉवर निर्माण के दौरान नुकसान पहुंचा है, जिससे आसपास के मकानों और होटलों पर खतरे की तलवार लटक रही है। नाले के टूटने से मिट्टी धंसने लगी है, जिससे आसपास की इमारतें ढहने की कगार पर हैं।
सोमवार को जैसे ही यह खबर फैली, नगर आयुक्त अक्षत वर्मा तुरंत अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। निरीक्षण में पाया गया कि नाले की क्षति के कारण आसपास की जमीन खिसक रही है, जिससे मकानों और होटलों की नींव को गंभीर खतरा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर आयुक्त ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। नाले से सटे होटल देवा इन और आसपास के भवनों को खाली करने के लिए जोनल अधिकारी मृत्युंजय मिश्र को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया। साथ ही, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) को नाले की तत्काल मरम्मत का जिम्मा सौंपा गया।
बता दें, यह नाला प्रतिदिन 30 एमएलडी सीवर डिस्चार्ज करने की क्षमता रखता है, जो अस्सी घाट से पंपिंग स्टेशन के रास्ते शाही नाले में मिलता है। गौदोलिया, नई सड़क और आसपास के क्षेत्रों का सीवर भी इसी नाले में समाहित होता है। इस नाले के क्षतिग्रस्त होने से रोपवे निर्माण एजेंसी और स्थानीय अधिकारियों के बीच तनातनी भी देखने को मिली। निर्माण एजेंसी का आरोप है कि उन्हें नाले की मौजूदगी की जानकारी ही नहीं दी गई।
जानकारी के मुताबिक, नाला शनिवार रात को क्षतिग्रस्त हुआ। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी आलोक वर्मा को तुरंत मौके पर भेजा। जलकल विभाग और नगर निगम के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। फिलहाल, रोपवे निर्माण एजेंसी ने टॉवर की नींव के लिए पाइलिंग का काम रोक दिया है।
यह घटना न केवल तकनीकी खामियों को उजागर करती है, बल्कि वाराणसी जैसे ऐतिहासिक शहर में बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और बेहतर योजना की जरूरत को भी रेखांकित करती है। क्या यह परियोजना शहर के लिए वरदान साबित होगी या अभिशाप, यह तो वक्त ही बताएगा!