वाराणसी, 16 जून 2025, सोमवार: वाराणसी, सनातन धर्म का पवित्र केंद्र, अब एक अनूठे और भव्य आयोजन की साक्षी बनने जा रहा है। बाबा विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग का अब वर्ष में दो बार 15 पवित्र नदियों, 6 तीर्थों और 9 कूपों के जल से भव्य जलाभिषेक होगा। इस पुण्य कार्य का शुभारंभ सनातन रक्षक दल द्वारा किया जा रहा है, जिसमें काशी के धर्मनिष्ठ नागरिक, तीर्थ पुरोहित, मंदिरों के महंत, साधु-संत और विद्वान एकजुट होंगे। काशी विश्वनाथ धाम में रोज़ाना लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन को उमड़ रहे हैं, और अब यह जलाभिषेक उनकी आस्था को और गहरा करेगा।
18 जून से शुरू होगी पवित्र जलाभिषेक यात्रा
18 जून को यह पवित्र यात्रा त्रिलोचन दर्शन के साथ शुरू होगी। भक्तगण त्रिविष्टक का जल लेकर मणिकर्णिका तीर्थ पहुंचेंगे, जहां से मणिकर्णिका का पवित्र जल लेकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। ज्ञानवापी में आचमन और ज्ञान मंडप में संकल्प व पूजन के बाद बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया जाएगा। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि ज्योतिर्लिंग की पवित्रता और स्वास्थ्य को संरक्षित करने का भी संकल्प है।
सनातन रक्षक दल का कहना है कि कुछ श्रद्धालु सनातन धर्म की पवित्रता के नियमों का पालन किए बिना मंदिर पहुंच रहे हैं, जिससे ज्योतिर्लिंग की आध्यात्मिक गरिमा प्रभावित हो रही है। इस जलाभिषेक यात्रा का उद्देश्य बाबा विश्वनाथ के पवित्र स्वरूप को और सशक्त करना है।
स्पर्श दर्शन पर रोक की मांग, पवित्रता और संरचना की चिंता
सनातन रक्षक दल के पंडित अजय शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंदिर प्रशासन को पत्र लिखकर एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है। उन्होंने बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन पर पूर्ण रोक लगाने की अपील की है। उनका कहना है कि अनियंत्रित स्पर्श दर्शन से शिवलिंग की मूल संरचना को नुकसान पहुंच रहा है और इसकी आध्यात्मिक पवित्रता भी खतरे में पड़ रही है। पंडित शर्मा ने बताया कि देश के कई प्रमुख मंदिरों में ऐसी व्यवस्था पहले से लागू है, और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी इसे तुरंत लागू करना चाहिए।
यह भव्य जलाभिषेक और स्पर्श दर्शन पर रोक की मांग काशी विश्वनाथ धाम की पवित्रता और गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को बढ़ाएगा, बल्कि बाबा विश्वनाथ के प्रति उनकी भक्ति को और प्रगाढ़ करेगा।