नई दिल्ली, 15 जून 2025, रविवार: भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित अंडमान-निकोबार बेसिन में प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के विशाल भंडार की खोज हुई है। इस भंडार को विशेषज्ञों ने ‘गुयाना-साइज’ डिस्कवरी करार दिया है, जिसका अनुमानित मूल्य 20 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। यह खोज भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
ONGC और OIL की अगुवाई में खोज
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) की अगुवाई में अंडमान सागर में किए गए सर्वे और गहरे समुद्र में खुदाई के बाद इस विशाल भंडार का पता चला। तीन दशकों तक प्रतिबंधित रहे इस क्षेत्र में 2022 के बाद रक्षा और अंतरिक्ष एजेंसियों की अनुमति के साथ अन्वेषण को मंजूरी मिली। अत्याधुनिक तकनीक और विदेशी विशेषज्ञता के सहयोग से शुरू हुई खुदाई में अब तक 37 कुएं खोदे जा चुके हैं, और उत्पादन का पहला चरण शुरू हो चुका है। भारत सरकार ने 2027 तक प्रतिदिन 2.45 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
गुयाना जैसे भंडार की तुलना
विश्लेषकों का कहना है कि अंडमान सागर का यह भंडार दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना के तेल-गैस भंडारों जैसा है, जहां 47 कुएं खोदने के बाद विशाल संसाधन मिले थे। प्रारंभिक सर्वेक्षणों में ही संकेत मिले थे कि अंडमान-निकोबार बेसिन तेल और गैस के मामले में असाधारण रूप से समृद्ध है। यह खोज भारत को न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी, बल्कि भविष्य में तेल निर्यातक देशों की सूची में भी शामिल कर सकती है।
चरणबद्ध उत्पादन और विदेशी साझेदारी
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। विदेशी तकनीकी साझेदारों को खोज और उत्पादन में प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे उत्पादन क्षमता और दक्षता में वृद्धि होगी। यह कदम भारत को घरेलू ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वैश्विक तेल बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर की है। इस 20 ट्रिलियन डॉलर के तेल-गैस भंडार की खोज भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता रखती है। यह खोज न केवल भारत को कच्चे तेल के आयातक से निर्यातक देश में बदल सकती है, बल्कि रणनीतिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी क्रांतिकारी साबित होगी। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत के सपने को नई ऊर्जा प्रदान करेगी और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी।
भविष्य की राह
अंडमान सागर की यह खोज भारत के लिए आर्थिक समृद्धि, ऊर्जा स्वतंत्रता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक मील का पत्थर है। सरकार और उद्योग जगत अब इस अवसर को भुनाने के लिए एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं, ताकि भारत ऊर्जा क्षेत्र में एक नई पहचान बनाए। यह उपलब्धि न केवल भारत के नागरिकों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत की बढ़ती ताकत का भी प्रतीक है।