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Sunday, June 22, 2025

वाराणसी में डाक विभाग में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश: CBI ने रिश्वतखोर अफसरों को दबोचा

वाराणसी, 15 जून 2025, रविवार। वाराणसी के डाक विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें उजागर हुईं, जब सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने डाक सहायक अधीक्षक संजय सिंह और ग्रामीण डाक सेवक आत्मा गिरी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। दोनों ने जांच रजिस्टर लौटाने और कार्रवाई से बचाने के नाम पर 50 हजार रुपये की मांग की थी, जिसमें से 20 हजार रुपये पहले ही जबरन वसूल लिए गए। इस सनसनीखेज कार्रवाई ने डाक विभाग में हड़कंप मचा दिया।

रिश्वत का खेल और CBI की दबिश

शनिवार को लखनऊ से आई सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने वाराणसी के खेवली, हाथीबाजार स्थित डाकघर पर छापा मारा। शिकायत मिली थी कि सेवापुरी उप डाकघर में जांच के नाम पर मनमानी की जा रही है। सीबीआई ने दोनों आरोपियों को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा और लखनऊ ले जाकर पूछताछ शुरू की। इस कार्रवाई से डाक विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों में खलबली मच गई।

शिकायतकर्ता की आपबीती: रजिस्टर के लिए रिश्वत की मांग

मामले की शुरुआत तब हुई, जब मड़या, रग्बूपुर के धनेश वर्मा ने सीबीआई को शिकायत दी। धनेश सेवापुरी उप डाकघर में कार्यवाहक एमटीएस के रूप में आधार कार्ड बनाने का काम करते हैं। 13 मार्च को संजय सिंह ने डाकघर का दौरा किया और आधार कार्ड रजिस्टर अपने साथ ले गए। बाद में रजिस्टर लौटाने और कार्रवाई न करने के लिए 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। धनेश ने पैसे न होने की बात कही, लेकिन 6 जून को संजय सिंह और आत्मा गिरी ने दोबारा डाकघर पहुंचकर 20 हजार रुपये जबरन वसूल लिए और रजिस्टर फिर से ले गए।

8 जून को संजय सिंह ने वाट्सएप कॉल पर धमकी दी कि रजिस्टर लौटाने और कार्रवाई रोकने के लिए 50 हजार रुपये और चाहिए। आत्मा गिरी ने भी इस मांग का समर्थन किया और धमकी दी कि पैसे न देने पर गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा।

सीबीआई की त्वरित कार्रवाई

धनेश ने हार नहीं मानी और लखनऊ में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। डीआईजी शिवानी तिवारी के निर्देश पर डिप्टी एसपी रानू चौधरी की अगुवाई में टीम ने जाल बिछाया और दोनों आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ लिया। सीबीआई ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया और विभागीय कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा।

डाक विभाग में हड़कंप

इस कार्रवाई से डाक विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश गया है। सीबीआई की इस त्वरित और साहसिक कार्रवाई ने न केवल भ्रष्ट अधिकारियों को सबक सिखाया, बल्कि आम कर्मचारियों में भी निष्पक्षता और जवाबदेही की उम्मीद जगाई है। अब सभी की नजरें इस मामले के अगले कदमों पर टिकी हैं।

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