मसूरी, 12 जून 2025: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में 127वें इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए सिविल सेवकों से जनजीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों का मार्गदर्शक उद्देश्य समाज के कल्याण के लिए करुणा, निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करना होना चाहिए।

बिरला ने प्रशासन में नवाचार और पारदर्शिता को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि ये उपकरण आमजन की अपेक्षाओं को पूरा करने और समाज की बेहतरी सुनिश्चित करने में प्रभावी हैं। उन्होंने विशेष रूप से वंचित और हाशिए पर खड़े लोगों की आकांक्षाओं पर ध्यान देने का आग्रह किया, जिनके लिए प्रशासन आशा का केंद्र है।
एलबीएसएनएए को लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताते हुए बिरला ने कहा कि यह संस्था राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को “कर्मयोगी” संबोधित करते हुए देश की प्रगति और जनकल्याण के लिए संवेदनशील और सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। लोकसभा अध्यक्ष ने भारत की सांस्कृतिक, भाषाई, भौगोलिक और सामाजिक विविधता का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके बावजूद देश ने सहयोग और जनभागीदारी पर आधारित एक सशक्त लोकतांत्रिक-प्रशासनिक व्यवस्था विकसित की है, जो विश्व में अनुकरणीय है। उन्होंने कार्यपालिका की भूमिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभों में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नीतियों को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना सिविल सेवकों की जिम्मेदारी है।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मरण करते हुए बिरला ने कहा कि उनकी सादगी और विचार आज भी लोकसेवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे केवल नीतियों के क्रियान्वयनकर्ता न बनें, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबकों के जीवन में ठोस बदलाव लाने वाले प्रतिनिधि बनें। उन्होंने कहा कि एक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण अधिकारी समाज की मानसिकता और स्थानीय प्रशासन में गहरा प्रभाव डाल सकता है।

बिरला ने आपदा और संकट के समय में जनता की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि न्याय और सेवा की भावना से प्रेरित अधिकारी जनता के हृदय में स्थान बनाते हैं और उनका सम्मान वर्षों तक कायम रहता है। अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कई बार जनता ने उन अधिकारियों का समर्थन किया, जिनके तबादले राजनीतिक दबाव में हुए, क्योंकि उनकी सेवा ने लोगों का विश्वास जीता था।
लोकसभा अध्यक्ष ने सतत सीखने और प्रशिक्षण की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि बदलती तकनीकों, सामाजिक अपेक्षाओं और वैश्विक परिवर्तनों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अधिकारियों को निरंतर आत्ममंथन और उन्नयन करना होगा। प्रशिक्षण के दौरान अनुभवों के आदान-प्रदान को उन्होंने प्रशासनिक सोच को समृद्ध करने वाला बताया।

अंत में, बिरला ने कहा कि एक सच्चा लोकसेवक वही है, जो अपनी सेवा से हर नागरिक को यह विश्वास दिलाए कि उसकी बात सुनी और समझी गई है। उन्होंने अधिकारियों से प्रत्येक समस्या को व्यक्तिगत दायित्व मानकर समाधान करने और समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय और सेवा पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने जोड़ा कि सच्ची संतुष्टि व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में निहित है।