अहिल्यानगर, 12 जून 2025, गुरुवार: महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री क्षेत्र शनि शिंगणापुर मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार विवाद की जड़ है मंदिर ट्रस्ट में कार्यरत 114 मुस्लिम कर्मचारी। हिंदू संगठनों ने इन कर्मचारियों को तत्काल हटाने की मांग उठाई है, और चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो 14 जून 2025 को मंदिर के बाहर ‘सकल हिंदू समाज’ एक विशाल प्रदर्शन करेगा। आखिर क्या है इस विवाद की असल कहानी?
विवाद की चिंगारी: मंदिर में मुस्लिम कर्मचारी क्यों बने मुद्दा?
मई 2025 में शनि शिंगणापुर मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण और रखरखाव कार्यों के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि मंदिर ट्रस्ट में 114 से लेकर 300 तक मुस्लिम कर्मचारी काम कर रहे हैं (स्रोतों के अनुसार आंकड़े भिन्न हैं)। खास तौर पर, 21 मई को मंदिर के पवित्र चबूतरे पर ग्रिल लगाने के काम में मुस्लिम कर्मचारियों की मौजूदगी ने हिंदू संगठनों को भड़का दिया। संगठनों का कहना है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर गैर-हिंदू कर्मचारियों का काम करना ‘हिंदू भावनाओं’ और मंदिर की ‘सात्विकता’ के खिलाफ है।
हिंदू संगठनों, खासकर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और बीजेपी आध्यात्मिक मोर्चा ने इसे गंभीर मुद्दा बनाते हुए तर्क दिया कि मुस्लिम कर्मचारी नॉन-वेज खाते हैं, जो मंदिर की पवित्रता को प्रभावित करता है। बीजेपी आध्यात्मिक मोर्चा के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने इसे ‘हिंदू संस्कृति पर हमला’ करार देते हुए 14 जून को एक ‘विराट हिंदू मोर्चा’ निकालने की घोषणा की है।
क्या है संगठनों का गुस्सा?
हिंदू संगठनों का तर्क है कि मंदिर परिसर और उससे जुड़ी संस्थाओं में केवल हिंदू कर्मचारियों को ही काम करने की अनुमति होनी चाहिए। उनका कहना है कि शनि शिंगणापुर जैसे धार्मिक स्थल की पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। कुछ संगठनों ने सोशल मीडिया के जरिए इस मुद्दे को और हवा दी, जिससे यह विवाद अब एक बड़े आंदोलन की शक्ल लेता दिख रहा है।