वाराणसी, 11 जून 2025, बुधवार: वाराणसी के काशी विद्यापीठ में मंगलवार की रात उस समय हड़कंप मच गया, जब मेरिट आधारित प्रवेश के विरोध में 29 दिनों से धरनारत 9 छात्रों को पुलिस ने आधी रात को अचानक हिरासत में ले लिया। धरनास्थल पर सन्नाटा पसरा था, तभी सिगरा पुलिस और विद्यापीठ चौकी इंचार्ज के नेतृत्व में पहुंची पुलिस ने एक-एक कर छात्रों को उठाना शुरू किया। विरोध और शोर-शराबे के बीच छात्रों की आवाज पुलिस के आगे दब गई।
हिरासत में लिए गए सभी 9 छात्रों को बुधवार को पहले कबीरचौरा अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका प्राथमिक मेडिकल चेकअप किया गया। कुछ साथी छात्र सूचना मिलते ही मंडलीय अस्पताल पहुंचे, लेकिन पुलिस ने बिना देर किए सभी को शांति भंग के आरोप में चालान कर जेल भेज दिया। इस कार्रवाई से छात्रों में गुस्सा भड़क उठा है, और विश्वविद्यालय परिसर में तनाव का माहौल है।
क्या है पूरा मामला?
काशी विद्यापीठ में नए सत्र 2025-26 के लिए मेरिट आधारित प्रवेश नीति के खिलाफ छात्रों का आंदोलन 29वें दिन भी जोर-शोर से जारी था। पांच दिन से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों की तबीयत बिगड़ने लगी थी, फिर भी उनकी मांगें अनसुनी रहीं। छात्र चाहते हैं कि मेरिट के बजाय प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाए, खासकर उन प्रमुख विषयों में जहां आवेदन सीटों से दोगुने हैं। इसके अलावा, पेड सीटों की संख्या को 50% से घटाकर पहले की तरह 33% करने और प्रवेश शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग भी शामिल है।
छात्रों का कहना है कि मेरिट आधारित प्रवेश से योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा। 28वें दिन प्रदर्शनकारी छात्रों ने खुद को जंजीरों से बांधकर अपनी आवाज बुलंद की थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों को नजरअंदाज कर हठधर्मिता दिखाई।
पोस्टरों पर प्रतिबंध, बढ़ता तनाव
104 साल पुराने काशी विद्यापीठ के इतिहास में यह पहला मौका नहीं जब छात्र आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। परिसर में पोस्टर लगाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। कुलानुशासक ने आदेश जारी कर चेतावनी दी है कि ‘आपत्तिजनक’ पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई होगी। हालांकि, ‘आपत्तिजनक’ की परिभाषा को लेकर असमंजस बरकरार है, जिससे छात्रों में और रोष बढ़ रहा है।
छात्रों का जज्बा और सवाल
29 दिनों की हड़ताल, भूख हड़ताल और जंजीरों में जकड़ा गया विरोध—छात्रों का जज्बा दर्शाता है कि वे अपनी मांगों पर अडिग हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी बात सुनेगा, या यह टकराव और तेज होगा? फिलहाल, परिसर में गहमागहमी और अनिश्चितता का माहौल है, और सभी की नजरें अगले कदम पर टिकी हैं।