वाराणसी, 11 जून 2025, बुधवार: मैनपुरी की अनीता यादव के साथ 16 लाख रुपये की ठगी के मामले ने वाराणसी पुलिस को सकते में डाल दिया था। इस मामले में पुलिस कमिश्नर के PRO दीपक राणावत पर शक की सुई घूमी, लेकिन डीसीपी क्राइम की गहन जांच ने उन्हें पूरी तरह बेगुनाह साबित कर दिया। असल में, यह करतूत थी एक शातिर साइबर ठग की, जिसने दीपक राणावत की फोटो और नाम का सहारा लेकर अनीता को अपने जाल में फंसाया।
मामला तब शुरू हुआ, जब अनीता ने 27 मई को पुलिस आयुक्त से शिकायत की कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर सब इंस्पेक्टर दीपक राणावत ने 16 लाख रुपये लिए, लेकिन न तो नौकरी मिली और न ही पैसा वापस हुआ। इस गंभीर आरोप के बाद पुलिस आयुक्त ने तुरंत डीसीपी क्राइम को जांच का जिम्मा सौंपा और दीपक को PRO के पद से हटा दिया।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। डीसीपी सरवरणन टी. ने बताया कि असली गुनहगार मथुरा का एक युवक था, जिसने सोशल मीडिया पर सक्रिय सब इंस्पेक्टर दीपक की फोटो, नाम और फर्जी परिचय पत्र का इस्तेमाल कर अनीता को ठगा। यही नहीं, इस शातिर ठग ने कई अन्य महिलाओं को भी अपने झांसे में लिया था। क्राइम ब्रांच और कैंट थाने की संयुक्त टीम ने मोबाइल कॉल डिटेल्स और सर्विलांस की मदद से इस ठग को मथुरा से धर दबोचा।
दीपक राणावत की तहरीर पर कैंट थाने में अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना का मुकदमा दर्ज किया गया। हिरासत में लिए गए मथुरा के इस ठग से पूछताछ में कई और सनसनीखेज खुलासे होने की उम्मीद है। यह मामला एक बार फिर साइबर ठगी के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है, जहां मासूम लोग फर्जीवाड़े का शिकार बन रहे हैं।