लखनऊ, 10 जून 2025, मंगलवार: उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के नाम पर एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग को हिलाकर रख दिया। प्रदेश के 39 अस्पतालों पर 6,239 फर्जी मरीजों के नाम पर 9.94 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान हड़पने का गंभीर आरोप लगा है। इस सनसनीखेज मामले में हजरतगंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, और पुलिस अब इस घपले की परतें उघाड़ने में जुट गई है।
कैसे हुआ खेल?
आयुष्मान भारत योजना, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा देती है, इस बार धोखाधड़ी का शिकार बन गई। आरोप है कि इन 39 अस्पतालों ने फर्जी मरीजों के इलाज के बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया। स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रीहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले को उजागर करते हुए तुरंत कार्रवाई की।
रात के अंधेरे में हुआ फर्जीवाड़ा
एफआईआर के मुताबिक, यह घोटाला 1 मई से 22 मई के बीच अंजाम दिया गया। इस दौरान इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी, लेखाधिकारी, प्रबंधक साचीज और सीईओ की यूजर आईडी का दुरुपयोग कर फर्जी भुगतान किए गए। हैरानी की बात यह है कि ये भुगतान ज्यादातर रात के समय किए गए, जिसने विभाग को शक के घेरे में ला दिया।
जांच ने खोली पोल
विभागीय जांच में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। सूत्रों के अनुसार, रोजाना प्रदेश के अस्पतालों में 4,000 से 5,000 मरीजों के भुगतान की प्रक्रिया होती है, लेकिन मई में अचानक कुछ चुनिंदा अस्पतालों को असामान्य रूप से ज्यादा भुगतान किए गए। गहन जांच में पता चला कि फर्जी मरीजों के नाम पर बिल बनाकर ये रकम हड़पी गई। हालांकि, अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, लेकिन पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
क्या है आयुष्मान योजना?
आयुष्मान भारत योजना गरीबों के लिए वरदान मानी जाती है, जिसमें सरकार मुफ्त इलाज का खर्च उठाती है। लेकिन इस तरह के घोटाले न केवल इस नेक पहल पर सवाल उठाते हैं, बल्कि जरूरतमंदों के हक पर भी डाका डालते हैं।
अब सबकी नजरें पुलिस जांच पर टिकी हैं, जो इस घोटाले के असली गुनहगारों को बेनकाब करने की कोशिश में जुटी है। क्या इस सनसनीखेज मामले की तह तक पहुंचा जा सकेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।