नई दिल्ली, 9 जून 2025, सोमवार: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, पिछले छह वर्षों में 24 बड़े चुनावों में करारी हार का सामना कर चुकी है। 2019 से 2025 तक के इस दौर में पार्टी को लोकसभा, विधानसभा और अन्य प्रमुख चुनावों में लगातार असफलता मिली है। इसके बावजूद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेतृत्व बार-बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को अपनी हार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या यह महज एक बहाना है या इसमें कुछ सच्चाई है?
हार का सिलसिला: 2019 से 2025 तक
2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी, जब पार्टी केवल 52 सीटें ही जीत सकी। उसी वर्ष हरियाणा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, ओड़िसा और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। 2020 में दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 2021 में असम, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों में पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली। 2022 में गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड, गोआ और मणिपुर में हार का सिलसिला जारी रहा। 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सत्ता हासिल करने में नाकाम रही। 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ ओड़िसा, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। और अब, 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को कोई राहत नहीं मिली।
EVM पर सवाल: रणनीति या हताशा?
इन हारों के बाद कांग्रेस नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी, ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने कई मौकों पर दावा किया है कि EVM में छेड़छाड़ की जा रही है, जिसके कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, निर्वाचन आयोग और विशेषज्ञों ने बार-बार इन दावों को खारिज किया है। EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता को साबित करने के लिए कई बार जांच और प्रदर्शन किए जा चुके हैं। इसके बावजूद, कांग्रेस का EVM को दोष देना जारी है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक पार्टी की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं।
क्या हैं असल कारण?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि EVM पर दोष मढ़ने के बजाय कांग्रेस को अपनी आंतरिक कमजोरियों पर ध्यान देना चाहिए। संगठनात्मक ढांचे में कमी, स्थानीय नेतृत्व का अभाव, और जनता से जुड़ने में नाकामी को कई विशेषज्ञ हार के प्रमुख कारणों के रूप में देखते हैं। इसके अलावा, विपक्षी दलों, खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और क्षेत्रीय दलों की मजबूत रणनीति और संगठन के सामने कांग्रेस कमजोर पड़ रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अनिल शर्मा कहते हैं, “EVM पर सवाल उठाना आसान है, लेकिन यह जनता का भरोसा जीतने का विकल्प नहीं हो सकता। कांग्रेस को अपनी नीतियों और नेतृत्व शैली में बदलाव लाने की जरूरत है।”