नई दिल्ली, 8 जून 2025, रविवार: चुनाव आयोग ने एक सनसनीखेज फैसले में कांग्रेस की मांग को मंजूरी दे दी है। अब पार्टी को महाराष्ट्र और हरियाणा की 2009 से 2024 तक की वोटर लिस्ट मिलेगी। यह मांग कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने उठाई थी, जिसके बाद मामला दिल्ली हाई कोर्ट तक जा पहुंचा। आयोग ने कोर्ट में किए वादे को निभाते हुए यह ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बल मिलने की उम्मीद है।
कांग्रेस की मांग और कोर्ट का रुख
कांग्रेस ने लंबे समय से वोटर लिस्ट में पारदर्शिता की वकालत की है। रणदीप सुरजेवाला ने दिसंबर 2024 में हरियाणा और महाराष्ट्र के 2009, 2014, 2019 और 2024 के चुनावों की वोटर लिस्ट की मांग की थी। जब आयोग से जवाब में देरी हुई, तो कांग्रेस ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया कि वह इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगा। फरवरी 2025 में आयोग ने कोर्ट से तीन महीने का समय मांगा ताकि डेटा की जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके। अब, महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEOs) ने आदेश जारी कर कांग्रेस को यह डेटा उपलब्ध कराने की हरी झंडी दे दी है।
वोटर लिस्ट का डेटा अब कांग्रेस की पहुंच में
इस फैसले के तहत कांग्रेस नेता अब 2009 से 2024 तक की वोटर लिस्ट जिला और चुनाव अधिकारियों से प्राप्त कर सकेंगे। आमतौर पर, चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को वोटर लिस्ट मुफ्त मिलती है, लेकिन पुरानी लिस्ट के लिए मंजूरी और शुल्क जरूरी होता है। सुरजेवाला ने अपनी याचिका में जोर दिया कि राजनीतिक दलों को वोटर लिस्ट की जांच का अधिकार होना चाहिए ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो। उनका कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।
कांग्रेस के आरोप और ECI का जवाब
कांग्रेस ने महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे, जिन्हें चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया। सुरजेवाला का मानना है कि वोटर लिस्ट की जांच से सच सामने आएगा और यह साबित हो सकेगा कि क्या वाकई कोई अनियमितता हुई है। उन्होंने कोर्ट में कहा, “पारदर्शिता लोकतंत्र की रीढ़ है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वोटर लिस्ट पूरी तरह सही हो।”
राहुल गांधी के आरोप और बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को “लोकतंत्र में धांधली का खाका” करार दिया और दावा किया कि बीजेपी ऐसी “मैच फिक्सिंग” को बिहार और अन्य राज्यों में भी दोहरा सकती है। जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल के आरोपों को “निराशा और हताशा” का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की बार-बार हार की बौखलाहट है, जो “नकली नैरेटिव” गढ़ रही है।
चुनाव आयोग ने खारिज किए आरोप
चुनाव आयोग ने भी राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से नकार दिया। आयोग के सूत्रों ने कहा कि हार के बाद ECI को बदनाम करना अनुचित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वोटर लिस्ट के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और यह लाखों चुनाव कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मेहनत का अपमान है।
क्या होगा इस फैसले का असर?
चुनाव आयोग का यह फैसला न सिर्फ कांग्रेस की मांग को पूरा करता है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर एक नया अध्याय शुरू करता है। यह कदम न केवल राजनीतिक दलों के बीच बहस को और गर्माएगा, बल्कि मतदाताओं के बीच भी विश्वास बढ़ाने में मदद कर सकता है। क्या यह फैसला वाकई लोकतंत्र को और मजबूत करेगा, या यह एक नई राजनीतिक जंग की शुरुआत है? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा!