इस्लामाबाद, 6 जून 2025, शुक्रवार: भारत को बार-बार परमाणु युद्ध की धमकी देने वाला पाकिस्तान अपनी ही धरती पर गरीबी के खिलाफ जंग हारता नजर आ रहा है। वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट ने पड़ोसी मुल्क की आर्थिक बदहाली की पोल खोल दी है। देश की करीब आधी आबादी, यानी 45 फीसदी लोग, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं, जबकि 16.5 फीसदी लोग अति-निर्धनता की खाई में फंसे हैं।
वर्ल्ड बैंक के 2018-19 के सर्वे पर आधारित आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। इंटरनेशनल पॉवर्टी लाइन, जो अब प्रतिदिन 3 डॉलर की कमाई पर आधारित है, के मानकों के अनुसार 45 फीसदी पाकिस्तानी इस सीमा से नीचे जी रहे हैं। पहले यह मानक 2.15 डॉलर था, जिसके तहत 4.9 फीसदी लोग अति-निर्धन थे। नए मानक लागू होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 16.5 फीसदी तक पहुंच गया है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता की कमी ने गरीबी को और गहरा किया है। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि बीते कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था में कोई खास प्रगति नहीं हुई, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्रों में भी पाकिस्तान फिसड्डी साबित हो रहा है। हैरानी की बात है कि जब दुनिया के ज्यादातर देश पोलियो मुक्त हो चुके हैं, तब भी पाकिस्तान में पिछले डेढ़ साल में पोलियो के 81 मामले सामने आए हैं। अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान अब भी इस बीमारी से जूझ रहा है।
पाकिस्तान की इस आर्थिक और सामाजिक बदहाली ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या परमाणु शक्ति का दम भरने वाला यह देश अपनी जनता को बुनियादी जरूरतें भी मुहैया करा पाएगा? फिलहाल, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने पाकिस्तान के सामने आईना रख दिया है, जिसे नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।