लखनऊ, 6 जून 2025, शुक्रवार: लखनऊ के बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक पीएचडी स्कॉलर ने पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। गोल्ड मेडलिस्ट छात्र आशीष कुमार ने कुलपति को पत्र लिखकर प्रोफेसर की कथित घिनौनी हरकतों का खुलासा किया है, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
छात्र का दावा: प्रोफेसर ने दिखाईं अश्लील फिल्में, बनाया शारीरिक दबाव
आशीष कुमार, जो एमएससी में स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं और सीएसआईआर नेट, आईसीएआर नेट व गेट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुके हैं, ने अपने पत्र में बताया कि प्रोफेसर राजेश कुमार पिछले एक साल से अधिक समय से उनका यौन उत्पीड़न कर रहे हैं। छात्र के अनुसार, जब भी वह अपने शोध कार्य के सिलसिले में प्रोफेसर के कमरे में जाते, डॉ. राजेश उन्हें अश्लील फिल्में दिखाते और अनुचित तरीके से छूने की कोशिश करते। इतना ही नहीं, प्रोफेसर ने कथित तौर पर छात्र को डीआरसी एनएफएससी फेलोशिप के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का लालच देकर उनकी मांगें मानने का दबाव बनाया।

शिकायत करने पर दी गई पीएचडी रद्द करने की धमकी
छात्र ने आगे खुलासा किया कि जब उन्होंने प्रोफेसर की शिकायत कुलपति से करने की बात कही, तो डॉ. राजेश ने उनकी पीएचडी डिग्री रद्द करने की धमकी दी। आशीष ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अश्विनी सिंह से भी संपर्क किया, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्र ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार और प्रोफेसर के बीच दोस्ती होने के कारण उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। इतना ही नहीं, अनुसूचित जाति से होने के कारण उन्हें और अधिक उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
न्याय न मिलने पर आत्महत्या की चेतावनी
आशीष ने अपने पत्र में साफ लिखा है कि अगर प्रोफेसर के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो वह आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाएंगे और इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराएंगे। उन्होंने मांग की है कि प्रोफेसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रोफेसर का जवाब: आरोप निराधार
दूसरी ओर, प्रोफेसर राजेश कुमार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया है। हालांकि, छात्र के पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय में तनाव का माहौल है। प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच शुरू हो सकती है।
छात्र की उपलब्धियां और दर्द
आशीष कुमार ने अपने पत्र में अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों का भी जिक्र किया है। 100 से अधिक उद्धरणों के साथ उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रकाशित करने वाले इस मेधावी छात्र ने कहा कि उनकी वैज्ञानिक रुचि और मेहनत को इस तरह के उत्पीड़न ने प्रभावित किया है। अब सवाल यह है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इस गंभीर मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करेगा, या यह मामला भी जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में चला जाएगा?