✍️ विकास यादव
वाराणसी, 6 जून 2025, शुक्रवार: गोरखपुर की 22 वर्षीय हेमा चौहान की कहानी हौसले और जुनून की ऐसी मिसाल है, जो हर किसी को प्रेरित करती है। महज 10 साल की उम्र में एक हादसे ने उनके दोनों हाथ छीन लिए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वह वाराणसी के काशी विद्यापीठ में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स की पढ़ाई कर रही हैं और मुंह से पेंटिंग बनाकर अपने सपनों को उड़ान दे रही हैं। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर काशी में उन्होंने लाइव भगवान शिव की तस्वीर बनाकर सबका दिल जीत लिया। हेमा कहती हैं, “मैं बिगिनर से बिगेस्ट आर्टिस्ट बनकर दुनिया में नाम कमाऊंगी।”
हादसे ने बदली जिंदगी, पर नहीं टूटा हौसला
हेमा की जिंदगी उस दिन बदल गई, जब वह 10 साल की उम्र में छत पर खेलते समय 12 हजार वोल्ट के करंट की चपेट में आ गईं। तेज झटके के साथ वह छत पर गिर पड़ीं और जब होश आया तो खुद को गोरखपुर के अस्पताल में पाया। डॉक्टरों ने कहा कि उनके दोनों हाथ और पैर काटने पड़ सकते हैं। इस खबर ने परिवार को झकझोर दिया, लेकिन हेमा के पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बेटी से कहा, “हार मत मानना, सब ठीक हो जाएगा।”
गोरखपुर में शुरुआती इलाज के बाद हेमा को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली ले जाया गया। करीब दो साल तक चले इलाज में डॉक्टर उनके पैर तो बचा पाए, लेकिन एक हाथ काटना पड़ा और दूसरा हाथ पूरी तरह ठीक नहीं हो सका। इस मुश्किल वक्त में हेमा के माता-पिता उनके सबसे बड़े सहारा बने।
मुंह से पेंटिंग: हौसले की नई उड़ान
हादसे के बाद हेमा को लगा कि उनकी जिंदगी खत्म हो गई। लेकिन उनके माता-पिता ने हौसला बढ़ाया और उन्हें नया रास्ता दिखाया। घर पर अकेले समय बिताते हुए हेमा ने यूट्यूब पर मुंह से पेंटिंग बनाते हुए लोगों के वीडियो देखे। इससे प्रेरित होकर उन्होंने खुद भी कोशिश शुरू की। शुरुआत में मुश्किलें आईं, लेकिन दो साल की कड़ी मेहनत के बाद वह मुंह से शानदार पेंटिंग बनाने लगीं।
हेमा कहती हैं, “मैंने सोच लिया कि मुझे बिगिनर से बिगेस्ट आर्टिस्ट बनना है। मैं चाहती हूं कि पूरी दुनिया मुझे मेरे काम से जाने।” गंगा दशहरा के दिन काशी में गंगा आरती के बीच उन्होंने बड़े कैनवास पर भगवान शिव की पेंटिंग बनाई। इस दौरान उन्हें अंदर से अपार शक्ति का अनुभव हुआ। वह अपने गुरु राहुल सर को इसका श्रेय देती हैं, जिन्होंने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया।
पिता के सपनों को दे रहीं आकार
गोरखपुर में हेमा के पिता की पंखा वेंडिंग की दुकान है, जबकि उनकी मां घर संभालती हैं। परिवार में दो छोटी बहनें और एक भाई भी हैं। हेमा कहती हैं, “मेरे पिता ने मेरे लिए बहुत कुछ किया। मैं उनके सपनों को पूरा करना चाहती हूं।” अपनी इस यात्रा में वह भावुक हो उठती हैं, लेकिन कैमरे के सामने उनकी मुस्कान उनकी अटल इच्छाशक्ति को दर्शाती है।
सपना: दुनिया में बनाना अपनी पहचान
हेमा की कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह सिखाती है कि मुश्किलें कितनी भी बड़ी हों, हौसले और मेहनत से हर सपना हकीकत बन सकता है। वह कहती हैं, “मैं दुनिया को दिखाना चाहती हूं कि मेरी कला मेरी ताकत है।” अपनी इस जिद और जुनून के साथ हेमा चौहान निश्चित रूप से एक दिन बिगेस्ट आर्टिस्ट बनकर अपने परिवार और देश का नाम रौशन करेंगी।