जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने विश्व पर्यावरण दिवस पर बुलंदशहर में नमामि गंगे मिशन को दी नई गति
बुलंदशहर, 5 जून 2025, गुरुवार: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में ‘नमामि गंगे’ मिशन के तहत एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसकी कमान जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने संभाली। गंगा के संरक्षण और पर्यावरण की स्वच्छता को समर्पित इस आयोजन ने सतत विकास, नदी पुनरुद्धार और युवा सहभागिता का नया अध्याय लिखा। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री के वृक्षारोपण अभियान से हुआ, जिसमें हजारों स्थानीय लोग और गंगा प्रहरी उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
“गंगा मां की रक्षा हमारा धर्म”
अपने प्रेरक संबोधन में पाटिल ने गंगा को जीवनदायिनी और भारतीय संस्कृति का आधार बताते हुए कहा, “गंगा सिर्फ नदी नहीं, हमारी आस्था और जीविका की धुरी है। इसका संरक्षण हमारा सामूहिक दायित्व है।” उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण को गंगा की सबसे बड़ी चुनौती करार दिया और इसके उपयोग पर पूर्ण रोक लगाने की अपील की। “जब तक हम गंगा को मां की तरह सम्मान नहीं देंगे, इसका संरक्षण अधूरा रहेगा,” उन्होंने जोर देकर कहा।
मंत्री ने नमामि गंगे मिशन की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस पहल ने गंगा बेसिन में प्रदूषण रोकने के लिए सैकड़ों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए हैं। “गंगा प्रहरी न केवल नदी की सफाई कर रहे हैं, बल्कि लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। प्रदूषण करने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई होगी,” उन्होंने चेतावनी दी।
जलीय जैव-विविधता और स्वच्छता अभियान को बढ़ावा
कार्यक्रम में पाटिल ने नरौरा में गंगा एक्वा लाइफ रेस्क्यू और पुनर्वास केंद्र का दौरा किया, जहां गांगेय डॉल्फिन और ताजे पानी के कछुओं के संरक्षण पर काम हो रहा है। उन्होंने भारतीय वन्यजीव संस्थान की प्रदर्शनी का अवलोकन कर वैज्ञानिकों से नदी पारिस्थितिकी पर चर्चा की। नरवर घाट पर मछली की अंगुलिकाओं को गंगा में छोड़ा गया, जिससे जलीय खाद्य श्रृंखला को मजबूती मिलेगी। साथ ही, गंगा प्रहरियों और स्वयंसेवकों ने घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया, जिसमें नदी प्रदूषण और व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर आधारित एक नाटक ने सभी का ध्यान खींचा।
प्राकृतिक खेती और किसानों का सशक्तिकरण
मंत्री ने नरवर घाट पर प्राकृतिक खेती कार्यशाला का उद्घाटन किया, जिसमें किसानों, विशेषज्ञों और छात्रों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन प्रधानमंत्री के “किसानों की आय दोगुनी” करने के लक्ष्य को समर्पित था। रासायनिक खादों से मुक्त खेती, मिट्टी की उर्वरता और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर गहन चर्चा हुई। किसानों ने अपनी चुनौतियां साझा कीं, जिसे मंत्री ने गंभीरता से सुना।
युवा शक्ति और पर्यावरण जागरूकता
कार्यक्रम में 200 से अधिक गंगा प्रहरी, स्कूली छात्र और एमएससी छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्रयास साझा किए। राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन भी हुआ, जिसमें गंगा संरक्षण के चल रहे प्रोजेक्ट्स की प्रगति दर्ज है। इसके अलावा, राष्ट्रीय पुस्तक ट्रस्ट (NBT) की एक विशेष मोबाइल बस का उद्घाटन किया गया, जो ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में साहित्य और संवाद के जरिए पर्यावरण जागरूकता फैलाएगी।
गंगा दशहरा: आस्था और पर्यावरण का संगम
पाटिल ने गंगा दशहरा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है। “गंगा के तटों पर स्नान और पूजा हमें स्वच्छता और संरक्षण का संदेश देती है,” उन्होंने कहा।
सामूहिक प्रयासों का जश्न
बुलंदशहर का यह आयोजन जल शक्ति मंत्रालय की बहु-आयामी रणनीति का प्रतीक बना। वृक्षारोपण, जैव-विविधता संरक्षण, प्राकृतिक खेती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने विज्ञान, परंपरा और समुदाय की एकता को दर्शाया। यह आयोजन न केवल गंगा की पवित्रता को बचाने का संकल्प है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरे-भरे भारत का सपना भी साकार करता है।
“गंगा को प्रदूषित करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी है कि हम इसे अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करें,” – जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल।