वाराणसी, 5 जून 2025, गुरुवार: धर्म और संस्कृति की नगरी काशी में आज गंगा दशहरा का पर्व अपार श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। गंगा के पावन तटों पर लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा, तो बाबा विश्वनाथ धाम में मां गंगा का भव्य जलाभिषेक और विशेष पूजन हुआ। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उर्जा से सराबोर रहा, बल्कि 23 साल बाद बने दुर्लभ पंच महायोग ने इसे और भी खास बना दिया।

घाटों पर आस्था की लहरें
रात के पहले प्रहर से ही काशी के दशाश्वमेध, अस्सी, और अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। जैसे ही सूरज की पहली किरण गंगा की लहरों पर पड़ी, हजारों लोग मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाते दिखे। दान, हवन, पूजन और मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं ने ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का पुण्य अर्जित किया। घाटों पर मंत्रों की गूंज और दीपों की रोशनी ने एक अलौकिक माहौल रच दिया।

23 साल बाद पंच महायोग की सौगात
पंडित राजन उपाध्याय के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा का पर्व इसलिए विशेष रहा क्योंकि चित्रा नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बना। 23 वर्षों बाद आए इस पंच महायोग ने गंगा स्नान और पूजन को असीम फलदायी बना दिया। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस शुभ मुहूर्त में किया गया स्नान और दान मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

बाबा विश्वनाथ धाम में भक्ति की बयार
काशी विश्वनाथ मंदिर में गंगा दशहरा के अवसर पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। मंदिर न्यास द्वारा मां गंगा का विधिवत जलाभिषेक किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने हिस्सा लिया। बाबा विश्वनाथ के दर्शन और गंगा पूजन के लिए श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े रहे। इस पावन तिथि पर भक्तों ने पाप नाश और मोक्ष की कामना के साथ प्रार्थनाएं कीं।

गंगा दशहरा का पौराणिक महत्व
मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस दिन गंगा स्नान, पूजन और दान से सभी पापों का नाश होता है और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी, जो गंगा और शिव की नगरी है, में इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।
