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Friday, June 27, 2025

बनारस की गलियों में आस्था का उफान: गर्मी की तपिश पर भक्ति भारी: काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

वाराणसी, 3 जून 2025, मंगलवार: जून की तपती धूप और चिलचिलाती गर्मी भी बनारस की आध्यात्मिक ऊर्जा को मंद नहीं कर सकी! काशी, जहां गंगा की लहरें आस्था की कहानियां बुनती हैं, वहां श्री काशी विश्वनाथ धाम में जून के पहले रविवार को सवा लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा भोलेनाथ के चरणों में शीश नवाया। गंगा के पवित्र तट से लेकर बाबा के भव्य धाम तक, हर-हर महादेव के जयकारों ने हवाओं को गुंजायमान कर दिया।

सुबह से रात तक आस्था का अटूट मेला

जैसे ही मंगला आरती की घंटियां बजीं, काशी विश्वनाथ धाम में भक्ति का सागर उमड़ पड़ा। सुबह की पहली किरण के साथ शुरू हुआ दर्शन-पूजन का यह सिलसिला, रात की शयन आरती तक अनवरत चला। गर्मी की छुट्टियों ने देश-विदेश से श्रद्धालुओं को बनारस की ओर खींच लिया। मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों की लंबी कतारें, हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ धाम में प्रवेश करती रहीं, मानो हर कदम पर काशी की प्राचीन आत्मा जीवंत हो उठी हो।

दोपहर की तपिश में भी आस्था अडिग

जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ा, गर्मी ने अपनी तीखी तेवर दिखाए। दोपहर 12 से 3 बजे तक चिलचिलाती धूप ने भक्तों की संख्या को थोड़ा कम किया, लेकिन उनकी आस्था में कोई कमी नहीं आई। गलियों में छांव तलाशते, पानी की बोतलें थामे, भक्त बाबा के दर्शन की आस में डटे रहे। जैसे ही शाम की ठंडक ने शहर को छुआ, भक्तों का उत्साह फिर से उफान पर था। चार बजे से शयन आरती तक, काशी विश्वनाथ धाम में भक्ति की लहरें थमने का नाम नहीं ले रही थीं।

गंगा आरती: जहां लहरें और भक्ति एकाकार हो उठीं

बनारस की आत्मा सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं। दशाश्वमेध, अस्सी और केदार घाट पर होने वाली गंगा आरती ने भी इस बार भक्तों का मन मोह लिया। घाटों पर उमड़ी भीड़, मां गंगा की लहरों पर नावों में सवार श्रद्धालु, और दीपों की जगमगाहट ने काशी की सांध्य सैर को और भी अलौकिक बना दिया। नावों से गंगा की लहरों को चूमती आरती की लौ और भक्तों की भक्ति भरी निगाहें—यह दृश्य किसी जादुई चित्र से कम नहीं था।

काशी: जहां गर्मी भी आस्था के सामने नतमस्तक

चिलचिलाती गर्मी हो या सूरज की तपिश, काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा के सामने सब बौना पड़ जाता है। सवा लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं का उमड़ना इस बात का जीवंत प्रमाण है कि बनारस सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और भक्ति का जीवंत तीर्थ है। गंगा की लहरों से लेकर बाबा विश्वनाथ के धाम तक, काशी हर भक्त के दिल में एक अनमोल जगह बना लेती है।

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