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Thursday, June 26, 2025

काशी में गूंजेगा ‘हर हर गंगे’: गंगा दशहरा पर अस्सी से दशाश्वमेध तक बहेगी भक्ति की गंगा!

वाराणसी, 3 जून 2025, मंगलवार: सनातन संस्कृति की धुरी और आस्था का केंद्र काशी एक बार फिर मां गंगा के जयघोष से थरथराएगी। आगामी 5 जून को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अस्सी घाट से दशाश्वमेध घाट तक भक्ति का ऐसा अलौकिक संगम होगा, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। गंगा सेवा निधि और नमामि गंगे अभियान के तत्वावधान में आयोजित इस भव्य उत्सव में आस्था, संस्कृति और भक्ति का त्रिवेणी संगम देखने को मिलेगा।

उपराष्ट्रपति की उपस्थिति बढ़ाएगी गौरव

गंगा सेवा निधि ने उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ को इस पवित्र आयोजन में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण भेजा है। यदि वे इस अवसर पर काशी पधारते हैं, तो यह न केवल काशीवासियों के लिए गर्व का क्षण होगा, बल्कि भक्तों के लिए भी एक ऐतिहासिक पल साबित होगा।

दशाश्वमेध घाट: दीपों की घाटी, मंत्रों की गूंज

दशाश्वमेध घाट पर गंगा दशहरा का उत्सव अपनी पूर्ण भव्यता के साथ नजर आएगा।

  • 11 आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा की षोडशोपचार पूजा होगी।
  • 51 लीटर दूध से होगा भव्य दुग्धाभिषेक, जो आध्यात्मिकता का अनूठा दृश्य प्रस्तुत करेगा।
  • 21 कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के स्वरूप में चंवर सेवा करेंगी, जो भक्ति का अनुपम नजारा होगा।
  • 108 किलो वजनी अष्टधातु की मां गंगा की प्रतिमा की स्थापना होगी, जिसकी भव्यता देखते ही बनती है।
  • घाटों पर हजारों दीपों की सजावट देव दीपावली की याद को ताजा कर देगी।
  • देर रात 11:30 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर चलेगा, जिसमें भक्ति और कला का संगम होगा।

अस्सी घाट: चुनरी और 56 भोग का अनूठा आयोजन

अस्सी घाट पर मां गंगा को समर्पित होगी 5,000 से अधिक साड़ियों से सजी चुनरी, जो काशी और आसपास के क्षेत्रों से एकत्र की गई हैं। इसके साथ ही माता को अर्पित होगा 56 प्रकार का भव्य भोग, जिसे देखकर श्रद्धालु आनंदित हो उठेंगे।

विशेष रूप से, प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में द्वितीय तल पर बनाई जाएगी खास रंगोली, जो कला और भक्ति का बेजोड़ मेल प्रस्तुत करेगी।

काशी की आत्मा में रचे-बसेगा यह उत्सव

यह गंगा दशहरा न केवल काशीवासियों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। अस्सी से दशाश्वमेध तक फैली यह भक्ति की गंगा हर किसी को आत्मिक शांति और सनातन संस्कृति के गौरव से सराबोर कर देगी।

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