जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और प्रोटोकॉल उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई
वाराणसी, 3 जून 2025, मंगलवार: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की नियम पुनरीक्षण समिति ने वाराणसी और चंदौली के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए कमर कस ली है। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा, उनके पत्रों की अनदेखी और प्रोटोकॉल उल्लंघन के गंभीर मामलों को लेकर समिति आज सर्किट हाउस में एक अहम बैठक आयोजित कर रही है। समिति के सभापति धर्मेन्द्र भारद्वाज की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अफसरों से कड़े सवाल पूछने को तैयार है।
क्यों नाराज है समिति?
विधान परिषद के सदस्यों के साथ बार-बार हो रहे प्रोटोकॉल उल्लंघन और उनके पत्रों को ठंडे बस्ते में डालने की शिकायतों ने समिति को सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर किया है। अधिकारियों द्वारा सूचनाएं समय पर न देना, याचिकाओं पर कार्रवाई में देरी और जनप्रतिनिधियों को विभागीय बैठकों में नजरअंदाज करना—ये सभी मुद्दे आज चर्चा के केंद्र में होंगे।
अफसरों से पूछे जाएंगे ये 8 कड़े सवाल:
- पिछले 3 सालों में विधान परिषद के कितने पत्रों का जवाब दिया गया?
- कितनी बार नियमों के तहत समय पर सूचनाएं दी गईं?
- परिषद की याचिकाओं पर अब तक क्या कार्रवाई हुई?
- विशेषाधिकार हनन के कितने मामले लंबित हैं?
- प्राप्त पत्रों पर क्या और कितनी कार्रवाई हुई?
- विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन की कितनी घटनाएं हुईं?
- विधायकों से जुड़े कितने मामले अब भी अटके हैं?
- विभागीय बैठकों में जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं बुलाया गया?
कौन-कौन विभाग निशाने पर?
समाज कल्याण, जल निगम, बेसिक शिक्षा, पंचायती राज, बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी जैसे प्रमुख विभागों के रिकॉर्ड की बारीकी से जांच होगी। समिति यह तय करेगी कि किन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी। लापरवाह अफसरों को लखनऊ तलब कर स्पष्टीकरण भी मांगा जा सकता है।
पहले भी हुई सख्ती, अब बारी वाराणसी की
इससे पहले जनवरी में मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और मार्च में अलीगढ़, आगरा, कानपुर में समिति की बैठकों में कई अधिकारियों को लखनऊ बुलाकर जवाब देना पड़ा था। अब वाराणसी और चंदौली के अफसरों की बारी है। समिति का साफ संदेश है—जनप्रतिनिधियों का अपमान अब बर्दाश्त नहीं होगा।
लोकतंत्र की मर्यादा की रक्षा
विधान परिषद की यह पहल सुनिश्चित कर रही है कि प्रदेश में लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संवैधानिक प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन हो। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को अब कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।
समिति का सख्त संदेश
- जनप्रतिनिधियों के पत्रों की अनदेखी नहीं चलेगी।
- प्रोटोकॉल उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई।
- लापरवाह अफसरों को देना होगा जवाब।
वाराणसी और चंदौली के अफसरों के लिए यह बैठक एक चेतावनी है—अब नियमों का पालन करें, वरना विधान परिषद की नजर से बचना मुश्किल होगा।