वाराणसी, 2 जून 2025, सोमवार। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) का ट्रॉमा सेंटर और सर सुंदरलाल अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह है गंभीर विवाद और प्रशासनिक अराजकता। सर्जरी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. शशि प्रकाश मिश्रा के साथ ट्रॉमा सेंटर के प्रशासनिक अधिकारी सौरभ सिंह और उनके निजी बाउंसरों द्वारा कथित दुर्व्यवहार ने आग में घी का काम किया है। इस मामले ने समाजवादी पार्टी (सपा) को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया। सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव उर्फ लक्कड़ पहलवान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने निदेशक कार्यालय का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें बाउंसर प्रथा को जड़ से खत्म करने की मांग गूंजी।
सपा नेता पप्पू यादव ने तीखे शब्दों में कहा, “सौरभ सिंह और उनके बाउंसरों ने न सिर्फ डॉ. मिश्रा के साथ अभद्रता की, बल्कि BHU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की शैक्षणिक और नैतिक गरिमा को भी ठेस पहुंचाई। यह घटना चिकित्सा संस्थानों में बढ़ती गुंडागर्दी और सत्ता के दुरुपयोग का खतरनाक चेहरा दिखाती है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी न हुईं, तो सपा और बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।
सपा ने रखीं ये पांच सूत्री मांगें
सपा ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके गुप्ता को तत्काल हटाने, प्रशासनिक अधिकारी सौरभ सिंह को पद से बर्खास्त करने, बाउंसरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने, मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने और अस्पताल परिसर से बाउंसर प्रथा को पूरी तरह खत्म करने की मांग की। सपा का कहना है कि अस्पताल का माहौल मरीजों और डॉक्टरों के लिए सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण होना चाहिए, न कि बाउंसरों की दादागिरी का अड्डा।
आखिर क्या है पूरा मामला?
ट्रॉमा सेंटर में प्रो. शशि प्रकाश मिश्रा और कैंटीन संचालक के बीच शुरू हुआ विवाद अब तूल पकड़ चुका है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए और चीफ प्रॉक्टर, IMS निदेशक, प्रभारी वीसी से लेकर पुलिस तक से कार्रवाई की मांग की है। विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है, जिसका चेयरमैन विज्ञान संकाय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर को बनाया गया है। खास बात यह है कि कमेटी में IMS का कोई सदस्य शामिल नहीं है, जिसे निष्पक्षता की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
विवाद में सीसीटीवी फुटेज की भूमिका अहम हो सकती है, लेकिन छात्रों और सपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर प्रभारी सौरभ सिंह चुनिंदा फुटेज पेश कर जांच को प्रभावित कर सकते हैं। यही वजह है कि प्रदर्शनकारी उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। अब सभी की नजर जांच कमेटी की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर टिकी है।