तिरुवनंतपुरम, 2 जून 2025, सोमवार: केरल की सांस्कृतिक नगरी तिरुवनंतपुरम में बसा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, जो न केवल विश्व का सबसे धनी मंदिर है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और रहस्य का भी प्रतीक है, एक ऐतिहासिक और अलौकिक घटना की मेजबानी करने जा रहा है! 270 साल के लंबे इंतजार के बाद, आगामी 8 जून को इस पवित्र स्थल पर ‘महाकुंभाभिषेकम’ का भव्य अनुष्ठान होने वाला है। यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर है, जो न केवल भक्तों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अनमोल क्षण होगा, क्योंकि ऐसा नजारा फिर शायद ही कभी देखने को मिले!
मंदिर का नवीनीकरण: आध्यात्मिक ऊर्जा का पुनर्जनन
मंदिर के प्रबंधक बी. श्रीकुमार ने बताया कि यह अनुष्ठान मंदिर के हाल ही में पूरे हुए व्यापक जीर्णोद्धार के बाद आयोजित किया जा रहा है। सदियों पुराने इस मंदिर का नवीनीकरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के निर्देशों के तहत किया गया। श्रीकुमार के शब्दों में, “यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति को पुनर्जनन करने का एक महायज्ञ है।” कोविड-19 की वजह से यह कार्य कुछ समय के लिए रुका, लेकिन 2021 से चरणबद्ध तरीके से इसे पूरा किया गया। अब यह मंदिर पहले से कहीं अधिक भव्य और शक्तिशाली रूप में उभरकर सामने आया है।
‘महाकुंभाभिषेकम’: एक अलौकिक अनुभव
8 जून को होने वाला ‘महाकुंभाभिषेकम’ अनुष्ठान मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह अनुष्ठान इतना दुर्लभ है कि मंदिर के इतिहास में ऐसा आखिरी बार 270 साल पहले हुआ था! श्रीकुमार ने उत्साह भरे लहजे में कहा, “यह एक ऐसा अवसर है, जो भगवान पद्मनाभ के भक्तों के लिए जीवन में एक बार मिलने वाला सौभाग्य है। दुनिया भर के श्रद्धालु इस पवित्र क्षण का हिस्सा बनने के लिए तिरुवनंतपुरम की ओर रुख करेंगे।”
पद्मनाभस्वामी मंदिर: भगवान विष्णु का अनंत शयन
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार, श्री पद्मनाभस्वामी को समर्पित है, जहां वे अपने प्रिय अनंत नाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की नींव तब पड़ी, जब भगवान विष्णु की एक चमत्कारी मूर्ति यहाँ प्राप्त हुई थी। यह मूर्ति आज भी भक्तों के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र है। मंदिर का वैभव और उसका रहस्यमयी आकर्षण इसे विश्व भर में प्रसिद्ध बनाता है। यहाँ की हर गलियाँ, हर स्तंभ, और हर कोना भक्ति और इतिहास की कहानियाँ बयां करता है।
क्यों है यह अवसर खास?
‘महाकुंभाभिषेकम’ केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव है, जो मंदिर की पवित्रता को और गहरा करेगा। यह एक ऐसा क्षण है, जो भक्तों को भगवान पद्मनाभ के और करीब लाएगा। श्रीकुमार ने इसे “सदियों में एक बार होने वाला चमत्कार” करार दिया है। इस दिन मंदिर का परिसर वैदिक मंत्रों, पवित्र अनुष्ठानों और भक्ति के रंग में डूबा होगा।
दूर-दूर से आएंगे भक्त
पद्मनाभस्वामी मंदिर पहले से ही लाखों भक्तों के लिए तीर्थस्थल है, और इस दुर्लभ अनुष्ठान के लिए विश्व भर से श्रद्धालु तिरुवनंतपुरम का रुख करेंगे। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि एक ऐसा पल है, जो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।