वाराणसी, 1 जून 2025, रविवार: काशी, में स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत दिल को चुभने वाली है। 40 लाख की आबादी वाला यह शहर, जो चिकित्सा के क्षेत्र में पूर्वांचल का गौरव माना जाता है, गंभीर मरीजों के लिए ICU बेड्स की कमी से जूझ रहा है। सरकारी अस्पतालों में “बेहतर सुविधाओं” के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं, और मरीजों के परिजन बेड की तलाश में भटकने को मजबूर हैं।
ICU का संकट: आंकड़े चीखते हैं
जरा आंकड़ों पर नजर डालें: 40 लाख लोगों के इस शहर में सरकारी अस्पतालों में कुल ICU बेड्स की संख्या है मात्र 88! जी हां, बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 54 बेड, ट्रॉमा सेंटर में 30 और मंडलीय अस्पताल में सिर्फ 4 बेड। इसके अलावा, किसी भी सरकारी अस्पताल में ICU की सुविधा नहीं। नतीजा? गंभीर मरीजों को या तो बीएचयू रेफर किया जाता है या फिर निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है, जहां इलाज का खर्च जेब पर भारी पड़ता है।
बीएचयू: उम्मीद का आखिरी ठिकाना, पर वहां भी लंबी कतार
काशी को चिकित्सा का हब कहा जाता है, और बीएचयू इसका सबसे बड़ा आधार। रोजाना 7,000 से ज्यादा मरीज वाराणसी, पूर्वांचल, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। अन्य सरकारी अस्पतालों में भी 5,000 से अधिक मरीज OPD में आते हैं। लेकिन जब बात गंभीर मरीजों की आती है, तो डॉक्टर एक ही रास्ता दिखाते हैं—बीएचयू। मगर वहां भी ICU बेड्स की कमी मरीजों की उम्मीदों पर भारी पड़ती है। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में भी बेड खाली होने का इंतजार लंबा और तकलीफदेह होता है।
निजी अस्पताल: राहत या मजबूरी?
जब सरकारी अस्पतालों के दरवाजे बंद हो जाते हैं, तो मरीजों के पास निजी अस्पतालों का रास्ता बचता है। लेकिन यहां इलाज का खर्च सुनकर रूह कांप जाती है। जहां सरकारी ICU में रोजाना 3-4 हजार रुपये खर्च होते हैं, वहीं निजी अस्पतालों में यह आंकड़ा 20-30 हजार रुपये या उससे भी ज्यादा तक पहुंच जाता है। यह मजबूरी गरीब और मध्यम वर्ग के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं।
उम्मीद की किरण: नई शुरुआत
हालांकि, बदलाव की हल्की-सी हवा बह रही है। जिला अस्पताल के पास 150 बेड्स का क्रिटिकल केयर ब्लॉक बनाने की योजना शुरू हो चुकी है। डॉ. संदीप चौधरी, सीएमओ, का कहना है कि इससे मरीजों को बीएचयू में बेड के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वहीं, बीएचयू आईएमएस के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने भी भरोसा दिलाया है कि जल्द ही ICU बेड्स की संख्या बढ़ाई जाएगी, जिसमें बच्चों के लिए NICU, हृदय रोगियों के लिए CCU और अन्य मरीजों के लिए ICU शामिल होंगे।
काशी का सपना: स्वास्थ्य सुविधाओं का नया सवेरा
वाराणसी, जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नया मुकाम हासिल करने की राह पर है। अगर ये योजनाएं हकीकत में बदल जाएं, तो न सिर्फ काशीवासियों को, बल्कि पूर्वांचल और पड़ोसी राज्यों के मरीजों को भी राहत मिलेगी। लेकिन तब तक, यह सवाल हर दिल में गूंज रहा है—क्या काशी सचमुच अपने मरीजों को वह सुविधा दे पाएगी, जिसका वह हकदार है?