प्रयागराज, 31 मई 2025, शनिवार। प्रयागराज, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी, ने एक बार फिर इतिहास रचा जब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नवनिर्मित चैंबर्स और मल्टीलेवल पार्किंग भवन का उद्घाटन किया। इस भव्य समारोह में उन्होंने जो शब्द कहे, वे न केवल न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, बल्कि भारत के संवैधानिक मूल्यों की गहराई को भी उजागर करते हैं।
सीजेआई ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा, “न्यायपालिका हो या कार्यपालिका, देश के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुंचाना हमारा परम कर्तव्य है।” उन्होंने संविधान के 75 वर्षों की यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे न्यायपालिका और कार्यपालिका ने सामाजिक व आर्थिक समानता के लिए अनेक कानून बनाए। जमींदारी उन्मूलन से लेकर श्रमिक वर्ग को सशक्त करने तक, इन प्रयासों ने भारत को एक समावेशी समाज बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया, जिनके प्रयासों से इस आधुनिक सुविधा के लिए धन उपलब्ध हुआ। खास बात यह रही कि उद्घाटन अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर हुआ, जिन्हें सामाजिक न्याय की प्रतीक माना जाता है। सीजेआई ने इसे गर्व का क्षण बताया।
संविधान की ताकत और भारत की एकता
सीजेआई ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए कहा कि 1949 में जब संविधान का अंतिम प्रारूप प्रस्तुत किया गया, तब बाबा साहेब ने सामाजिक और आर्थिक समानता की आवश्यकता पर बल दिया था। आज 75 वर्ष बाद, भारत न केवल प्रगति के पथ पर अग्रसर है, बल्कि संकट के समय भी एकजुट और मजबूत रहा है। पड़ोसी देशों की अस्थिरता के बीच भारत की यह उपलब्धि संविधान की ताकत को दर्शाती है।
प्रयागराज: शक्ति और साहित्य की भूमि
जस्टिस गवई ने प्रयागराज को “पावरफुल लोगों की भूमि” करार देते हुए इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, और तेज बहादुर सप्रू जैसे कानूनी दिग्गजों से लेकर महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन और चंद्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों तक, इस भूमि ने भारत के विधिक, साहित्यिक और स्वतंत्रता संग्राम में अमिट योगदान दिया है।
विश्वस्तरीय सुविधा, न्याय के लिए समर्पित
नवनिर्मित भवन को देश के नागरिकों को समर्पित करते हुए सीजेआई ने इसे विश्व में अधिवक्ताओं के लिए सबसे उन्नत सुविधा बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी भव्य इमारत विश्व में कहीं और नहीं देखी गई। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उच्च न्यायालय के सभी सदस्यों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में न्यायिक भवनों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें वादकारियों, विशेष रूप से महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधाएं होंगी।
बार और बेंच की एकजुटता
सीजेआई ने बार और बेंच के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक दोनों मिलकर काम नहीं करेंगे, तब तक न्याय का रथ आगे नहीं बढ़ सकता। इस इमारत के निर्माण के लिए उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों द्वारा अपने बंगलों का त्याग एक अनुकरणीय उदाहरण है।
प्रयागराज से उठा यह संदेश स्पष्ट है: न्याय केवल एक शब्द नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए एक अधिकार है, और भारत का संविधान इसे सुनिश्चित करने की आधारशिला है।