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Tuesday, July 1, 2025

बकरीद पर हिंसा और क्रूरता रोकने की मांग: डॉ. सुरेंद्र जैन

नई दिल्ली, 31 मई 2025, शनिवार: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बकरीद के नाम पर होने वाली हिंसा, क्रूरता और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। संगठन ने तथाकथित पर्यावरण प्रेमियों और उनके समर्थन तंत्र की इस मुद्दे पर चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने पूछा कि कुरान में कहां लिखा है कि बकरीद पर बकरे की बलि दी जाए। उन्होंने कहा कि यदि यह प्रतीकात्मक है, तो सात्विक और मानवीय विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें कुछ मुस्लिम समूहों ने अपनाना शुरू भी किया है। फिर भी, लाखों मासूम पशुओं की क्रूर हत्या क्यों की जाती है, जिससे संवेदनशील समाज आहत होता है?

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने प्रेस वक्तव्य में कहा कि बकरीद की बर्बर परंपराओं से देशभर में बेचैनी है। अनुमान है कि इस दौरान दो करोड़ से अधिक पशुओं की हत्या हो सकती है, जिससे देश का शाकाहारी और संवेदनशील समाज गुस्से में है। उन्होंने बताया कि बकरीद पर सड़कें खून से सन जाती हैं, सीवर जाम हो जाते हैं, और नदियों का रंग बदल जाता है, जिससे शाकाहारी समाज त्रस्त हो जाता है।

डॉ. जैन ने तथाकथित पर्यावरण प्रेमियों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये लोग होली-दिवाली पर हिंदुओं को इको-फ्रेंडली उत्सव मनाने का उपदेश देते हैं, लेकिन बकरीद पर करोड़ों पशुओं की हत्या पर मौन रहते हैं। उन्होंने इसे हिंदू विरोधी मानसिकता का हिस्सा बताया। डॉ. जैन ने चुनौती दी कि कुरान में कहां लिखा है कि बकरे की कुर्बानी देनी है। उन्होंने इसे मानवता को आतंकित करने का माध्यम बताया।

उन्होंने कहा कि यह भारतीय संविधान का भी उल्लंघन है। संविधान का अनुच्छेद 25 सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य की रक्षा की बात करता है, जबकि अनुच्छेद 48 पशु संरक्षण पर जोर देता है। गुजरात, मुंबई, उत्तराखंड आदि के उच्च न्यायालयों ने सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी पर रोक लगाई है। डॉ. जैन ने कहा कि बकरीद की परंपरा से संवेदनशील समाज आतंकित होता है, जबकि अन्य धर्मों ने अपनी परंपराओं में मानवीय सुधार किए हैं।

उन्होंने हिंदू समाज की प्रतिबद्धता दोहराई कि वह मासूम जीवों की अवैध हत्या नहीं होने देगा। साथ ही, मुस्लिम नेताओं और पर्यावरण प्रेमियों से सांकेतिक और अहिंसक बकरीद मनाने का आह्वान करने की अपील की, ताकि सभ्य समाज की भावनाओं का सम्मान हो।

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