गाजियाबाद, 31 मई 2025, शनिवार। दिल्ली से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा गाजियाबाद का नाहल गांव, नहर के किनारे अपनी शांत सी दिखने वाली गलियों में अपराध का ऐसा तूफान समेटे हुए है, जो सुनने वालों को दहलाने के लिए काफी है। करीब 35,000 की आबादी वाला यह गांव आज “हिस्ट्रीशीटरों का गांव” कहलाता है, जहां 39 हिस्ट्रीशीटर और 350 से ज्यादा कुख्यात अपराधी अपने काले कारनामों से इलाके में दहशत फैलाए हुए हैं। हत्या, लूट, डकैती, चोरी और गोकशी जैसे संगीन अपराधों का यह गांव अड्डा बन चुका है, जहां पुलिस का खाकी वर्दी भी खौफ में कांपने को मजबूर है।
कांस्टेबल की हत्या ने उजागर की सच्चाई
हाल ही में नाहल गांव उस वक्त सुर्खियों में आया, जब एक खतरनाक हिस्ट्रीशीटर कादिर को पकड़ने गई नोएडा पुलिस की टीम पर हमला हुआ। कादिर को छुड़ाने के लिए उसके साथियों ने पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें कांस्टेबल सौरभ देशवाल की जान चली गई। इस घटना ने पुलिस को झकझोर दिया। जवाब में पुलिस ने गांव में छापेमारी तेज कर दी, चार हिस्ट्रीशीटरों के साथ मुठभेड़ हुई, जिनके पैरों में गोली लगी, और अब तक 15 से ज्यादा अपराधियों को हिरासत में लिया जा चुका है। लेकिन यह घटना तो बस उस आग की एक चिंगारी है, जो नाहल की गलियों में दशकों से सुलग रही है।
अपराध का गढ़, जहां सूरज के साथ जागता है जुर्म
नाहल गांव का इतिहास अंग्रेजों के जमाने से भी पुराना है, लेकिन इसकी बदनामी अपराध की वजह से है। पुलिस रिकॉर्ड में इसे “अति संवेदनशील” गांव माना जाता है, जहां 39 हिस्ट्रीशीटर, 20 गैंगस्टर, 70 लुटेरे, 40 गोकश और 100 से ज्यादा चोर रहते हैं। सुबह सूरज निकलते ही ये अपराधी अपने काले धंधों में जुट जाते हैं। गांव का सबसे पुराना हिस्ट्रीशीटर शमशाद उर्फ चंदू, 70 साल की उम्र में भी अपराध की दुनिया का सरगना है, जिसका रिकॉर्ड हत्या, लूट और डकैती जैसे संगीन मामलों से भरा पड़ा है। इसके अलावा रहमान, मुनव्वर, राशिद, खालिद जैसे नाम इस गांव के अपराधी नक्शे पर काले धब्बों की तरह हैं।
पुलिस का खौफ, गांव का सन्नाटा
सौरभ की हत्या के बाद पुलिस की सख्ती ने गांव में सन्नाटा पसरा दिया है। दुकानें बंद, घरों पर ताले, और गलियां वीरान। गांव के 80% लोग पुलिस के डर से पलायन कर चुके हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि अपराधियों के साथ-साथ बेगुनाह भी डर के मारे गांव छोड़ गए। एक बुजुर्ग ने कहा, “सौरभ की हत्या दुखद है, लेकिन बेगुनाहों को परेशान नहीं करना चाहिए।”
जल्दी पैसा, अपराध की राह
आखिर नाहल के नौजवान अपराध की राह क्यों चुन रहे हैं? स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा की कमी और जल्दी पैसा कमाने की लालच युवाओं को हिस्ट्रीशीटर बना रही है। गांव के बच्चे और नौजवान चोरी, लूट और गोकशी जैसे अपराधों में उलझ रहे हैं। पुलिस का कहना है कि इन अपराधियों में खाकी का जरा भी खौफ नहीं। साल 2012 में मसूरी थाने में आग लगाने से लेकर पिछले साल पुलिस पर हमला और हथियार लूटने की वारदातें इसकी गवाही देती हैं।
पुलिस की कार्रवाई, बदमाशों की चुनौती
पिछले आठ महीनों में मसूरी पुलिस ने दर्जनभर बदमाशों को मुठभेड़ में पकड़ा, जिनमें इश्तिकार, फैजान, शाहनवाज जैसे कुख्यात अपराधी शामिल हैं। गाजियाबाद के एडिशनल कमिश्नर आलोक प्रियदर्शी का कहना है, “हम नाहल को अपराध मुक्त करने के लिए कटिबद्ध हैं। सभी हिस्ट्रीशीटरों पर नजर है।” लेकिन अपराधियों का बेखौफ रवैया पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।
क्या बदलेगा नाहल का चेहरा?
नाहल गांव की गलियां आज खामोश हैं, लेकिन अपराध का साया अब भी मंडरा रहा है। क्या पुलिस की सख्ती और सामाजिक बदलाव इस गांव को अपराध मुक्त कर पाएंगे? यह सवाल हर किसी के मन में है। नाहल की कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि उन कारणों की भी है, जो एक गांव को हिस्ट्रीशीटरों का अड्डा बना रहे हैं।