वाराणसी, 30 मई 2025, शुक्रवार। वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट (सीनियर डिवीजन) में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े 1991 के मूलवाद मामले की सुनवाई जोरों पर है। हिंदू पक्ष ने अपनी बहस पूरी कर ली है, और अब गेंद मुस्लिम पक्ष के पाले में है। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सनसनीखेज दावा किया कि मुस्लिम पक्ष जिस प्लॉट नंबर 9130 को वक्फ संपत्ति बताकर मस्जिद का हक जता रहा है, वह पूरी तरह फर्जी है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला, मुस्लिम पक्ष पर बड़ा हमला
विजय शंकर रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के 1982 के एक ऐतिहासिक फैसले का जिक्र करते हुए कोर्ट को बताया कि दोषीपुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की 245 वक्फ संपत्तियों, जिनमें ज्ञानवापी मस्जिद भी शामिल है, को फर्जी करार दिया था। रस्तोगी ने दावा किया कि इस फैसले के आधार पर मुस्लिम पक्ष का दावा अपने आप खारिज हो जाता है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में और खुलासा किया कि मुस्लिम पक्ष लंबे समय से फर्जीवाड़े का खेल खेल रहा है। 1936 के दीन मोहम्मद मामले में भी रिकॉर्ड में हेरफेर कर काशी विश्वनाथ की जगह ‘अहले इस्लाम’ लिख दिया गया था, जिसे बाद में वक्फ संपत्ति बताने की कोशिश की गई। रस्तोगी ने जोर देकर कहा, “सुप्रीम कोर्ट का 1982 का फैसला इस मामले को पूरी तरह साफ करता है। जीत हिंदुओं की होगी।”
मुस्लिम पक्ष का जवाब: “आरोप बेबुनियाद, रिकॉर्ड में कोई हेरफेर नहीं”
मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उनका कहना है कि प्लॉट नंबर 9130 वक्फ संपत्ति ही है और रिकॉर्ड में ‘अहले इस्लाम’ का उल्लेख स्पष्ट है। उन्होंने हिंदू पक्ष के दावों को निराधार बताते हुए सवाल उठाया, “1982 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर इतना अहम था, तो अब तक क्यों चुप्पी थी? हिंदू पक्ष रिकॉर्ड दिखाए, हम कोर्ट में जवाब देंगे।”
“फैसले में अब देरी नहीं होनी चाहिए”
जब रस्तोगी से पूछा गया कि दिसंबर 2023 में हाई कोर्ट ने छह महीने में मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया था, फिर देरी क्यों हो रही है, तो उन्होंने खुलकर कहा कि कुछ हिंदुओं की वजह से ही मामला खिंच रहा है। “एक के बाद एक याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। एक निरस्त होता है, तो दूसरा, फिर तीसरा… इससे मुस्लिम पक्ष को भी फायदा हो रहा है, क्योंकि हिंदू आपस में ही उलझ रहे हैं।” हालांकि, रस्तोगी ने भरोसा जताया कि नए तथ्य और सबूतों के आधार पर अब फैसला जल्द आएगा और काशी विश्वनाथ के हक में होगा।