वाराणसी, 28 मई 2025, बुधवार। वाराणसी से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो न केवल धोखे की साजिश को उजागर करता है, बल्कि भरोसे के टूटने की दर्दनाक दास्तान भी बयां करता है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के पीआरओ दीपक रानावत पर 16 लाख रुपये की ठगी का गंभीर आरोप लगा है। मैनपुरी की अनीता यादव ने हिम्मत जुटाकर वाराणसी पहुंचकर इस धोखाधड़ी की शिकायत की, जिसमें नौकरी के सुनहरे सपने दिखाकर उनके साथ छल किया गया।
सपनों का सौदा, धोखे की कहानी
अनीता यादव की कहानी दिल दहला देने वाली है। जुलाई 2024 में, दीपक रानावत ने उनके बेटे के लिए पुलिस भर्ती परीक्षा-2024 और दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेनो की नौकरी दिलाने का लुभावना वादा किया। अनीता ने बताया कि उनके पास न तो पर्याप्त पैसे थे, न ही बेटे ने भर्ती के लिए आवेदन किया था। लेकिन दीपक ने अपने तथाकथित दोस्त संदीप का हवाला दिया, जो कथित तौर पर लोकसेवा आयोग में प्रभावशाली व्यक्ति था। इस चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर अनीता ने अपने जीवन की जमा-पूंजी दांव पर लगा दी।
अनीता ने अपने कीमती जेवर बेचे, ब्याज पर कर्ज लिया, और 30 अगस्त 2024 को मथुरा बस स्टैंड के पास 8 लाख रुपये संदीप को सौंप दिए। इसके बाद, दीपक के कहने पर फिर 8 लाख रुपये उसी स्थान पर दिए गए। कुल 16 लाख रुपये और एक लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर—ये थी अनीता के सपनों की कीमत। लेकिन जैसे ही पैसे दिए गए, दीपक का रवैया बदल गया। 15 अक्टूबर 2024 तक नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ, और धीरे-धीरे दीपक ने फोन उठाना बंद कर दिया। अनीता का आरोप है कि दीपक और संदीप ने मिलकर न केवल उनके पैसे लूटे, बल्कि उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी किया।
हिम्मत की मिसाल, न्याय की आस
अनीता ने हार नहीं मानी। वे वाराणसी पहुंचीं और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से गुहार लगाई। अपने साथ हुए छल को साबित करने के लिए उन्होंने वीडियो कॉल्स के सबूत भी पेश किए, जिनमें दीपक रानावत की मौजूदगी का दावा है। हालांकि, पुलिसकर्मियों ने शुरू में मामले को टालने की कोशिश की, लेकिन अनीता की जिद और हौसले के आगे सबको झुकना पड़ा। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को शिकायती पत्र सौंपा और न्याय की मांग की, यह चेतावनी देते हुए कि अगर इंसाफ नहीं मिला तो वे सीधे मुख्यमंत्री के पास जाएंगी।
जांच का जिम्मा, सच्चाई की तलाश
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने जांच का जिम्मा एक आईपीएस अधिकारी को सौंपा और वादा किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं अनीता द्वारा बदनाम करने की साजिश तो नहीं रची जा रही। संदीप नाम के शख्स की तलाश भी शुरू की गई है, जिसे दीपक के कहने पर पैसे दिए गए थे। जांच में हर पहलू को खंगाला जाएगा—क्या यह ठगी की साजिश थी, या फिर कोई और गहरी चाल? सच्चाई जल्द सामने आएगी।
एक मां का संघर्ष, टूटते सपनों की कहानी
यह कहानी सिर्फ ठगी की नहीं, बल्कि एक मां के अपने बेटे के भविष्य के लिए किए गए संघर्ष की है। अनीता ने अपने गहने, अपनी बचत, और अपनी उम्मीदें—सब कुछ दांव पर लगा दिया, लेकिन बदले में मिला केवल धोखा। अब उनकी लड़ाई न केवल उनके खोए हुए पैसों के लिए है, बल्कि उस भरोसे के लिए भी, जो इस साजिश ने छीन लिया। क्या अनीता को इंसाफ मिलेगा? क्या दीपक और संदीप की सच्चाई सामने आएगी? यह सवाल अब वाराणसी की गलियों से लेकर पुलिस कमिश्नर के दफ्तर तक गूंज रहा है।