नई दिल्ली, 27 मई 2025, मंगलवार। स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ उठा तूफान सुप्रीम कोर्ट में थम गया! पंकज कुमुद चंद्र फडनिस नामक याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी के बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें याचिकाकर्ता के किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं हुआ है।
आखिर क्या था मामला?
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि राहुल गांधी ने सावरकर के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां कीं, जो न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के नायकों का अपमान करती हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को भी गलत दिशा में ले जा सकती हैं। उनका तर्क था कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और राहुल गांधी जैसे विपक्ष के नेता को अपने बयानों में संयम बरतना चाहिए।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने साफ कहा, “राहुल गांधी के बयानों से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों पर कोई आंच नहीं आई।” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका तभी सुनवाई योग्य होती है, जब किसी के बुनियादी अधिकारों का हनन हो।
कोर्ट का याचिकाकर्ता को सुझाव
जब याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी ने अपने कर्तव्यों की अनदेखी की है, तो कोर्ट ने उन्हें दो टूक जवाब दिया। जस्टिस मसीह ने कहा, “अगर आप सावरकर से जुड़ी कोई बात पाठ्यक्रम में शामिल करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए उचित मंच पर अपनी बात रखें।” कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस तरह के दावों को अनुच्छेद 32 के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
पहले भी हो चुकी है सुनवाई
यह पहली बार नहीं है जब सावरकर को लेकर राहुल गांधी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इससे पहले भी इस मुद्दे पर सुनवाई हो चुकी है, जहां कोर्ट ने अहम टिप्पणियां की थीं। इस बार पंकज कुमुदचंद्र फडनिस बनाम लोकसभा में विपक्ष के नेता मामले में कोर्ट ने याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया।