नई दिल्ली, 25 मई 2025, रविवार। भारत ने वैश्विक मंच पर एक और शानदार उपलब्धि हासिल कर ली है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और तीसरा स्थान भी अब ज्यादा दूर नहीं है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने हाल ही में घोषणा की कि भारत ने जापान को पीछे छोड़कर 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ यह मुकाम हासिल किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने बताया कि अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आगे हैं। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है—भारत अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
जापान को पीछे छोड़ने की कहानी
10वीं नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुब्रह्मण्यम ने गर्व के साथ कहा, “जब मैं बोल रहा हूं, तब हम 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह मेरा डेटा नहीं, आईएमएफ का डेटा है।” आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (अप्रैल 2025) के अनुसार, 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी 4,187.017 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी, जो जापान की अनुमानित जीडीपी 4,186.431 अरब डॉलर से थोड़ी अधिक है। यह उपलब्धि भारत की आर्थिक नीतियों, सुधारों और निरंतर विकास की गति का प्रमाण है।
अगला लक्ष्य: जर्मनी
आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, भारत की आर्थिक रफ्तार रुकने वाली नहीं है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है, जिसका अनुमानित आकार 5,069.47 अरब डॉलर होगा। वहीं, 2028 तक यह 5,584.476 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो जर्मनी की अनुमानित जीडीपी (5,251.928 अरब डॉलर) से अधिक होगी। सुब्रह्मण्यम ने कहा, “अगर हम अपनी योजनाओं पर टिके रहते हैं, तो भारत अगले 2.5 से 3 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।”
वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति
आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अमेरिका 30,507.217 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ शीर्ष पर बना रहेगा, जबकि चीन 19,231.705 अरब डॉलर के साथ दूसरा स्थान बनाए रखेगा। हालांकि, अमेरिका की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 1.8 प्रतिशत और 2026 में 1.7 प्रतिशत तक धीमी होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं भी धीमी गति से बढ़ रही हैं। 2025 में यूरोप की औसत वृद्धि दर मात्र 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2026 में 1.2 प्रतिशत तक सुधरेगी। इस बीच, भारत की मजबूत वृद्धि दर और आर्थिक नीतियां इसे वैश्विक मंच पर और मजबूत स्थिति में ला रही हैं।
यूरोप के मुकाबले भारत की तेज रफ्तार
यूरोप के प्रमुख देशों की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि कहीं अधिक प्रभावशाली है। उदाहरण के लिए, फ्रांस की वृद्धि दर 2025 में 0.6 प्रतिशत और 2026 में 1 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। स्पेन 2025 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ यूरोप में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला देश होगा, लेकिन 2026 में यह घटकर 1.8 प्रतिशत रह जाएगी। ब्रिटेन की वृद्धि दर भी 2025 में 1.1 प्रतिशत और 2026 में 1.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इन आंकड़ों के बीच भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक निवेशकों और नीति निर्माताओं का ध्यान खींच रही है।
भारत की उड़ान का आधार
भारत की इस आर्थिक उछाल के पीछे कई कारक हैं—मजबूत नीतिगत सुधार, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा, और वैश्विक व्यापार में बढ़ती भागीदारी। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहल ने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही, भारत की युवा आबादी और बढ़ता मध्यम वर्ग भी इस विकास की कहानी को और मजबूत कर रहे हैं।