नई दिल्ली, 25 मई 2025, रविवार। आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने हमारे जीवन को जितना आसान बनाया है, उतना ही यह साइबर अपराधियों के लिए नए रास्ते भी खोल रहा है। हर दिन हजारों साइबर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें से कई में एआई का दुरुपयोग शामिल है। आम लोगों से लेकर बॉलीवुड के दिग्गज सितारों तक, कोई भी इसकी चपेट से बचा नहीं है। अमिताभ बच्चन, अरिजीत सिंह, रवीना टंडन और डॉ. देवी शेट्टी जैसे नामी हस्तियों के अनुभव इस बात का सबूत हैं कि एआई का गलत इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है।
अरिजीत सिंह: आवाज की चोरी और कोर्ट की जीत
कल्पना करें कि आप विश्व प्रसिद्ध गायक हैं, आपकी आवाज करोड़ों दिलों की धड़कन है, लेकिन एक दिन आपको पता चले कि कोई आपकी आवाज को एआई के जरिए कॉपी कर रहा है। बिना आपकी अनुमति के आपके अंदाज में गाने बनाए जा रहे हैं और उससे पैसे भी कमाए जा रहे हैं। यही हुआ मशहूर गायक अरिजीत सिंह के साथ। कुछ ऐप्स और वेबसाइट्स उनकी आवाज का डुप्लिकेट बनाकर व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे थे। अरिजीत ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया, और कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए साफ किया कि बिना सहमति के किसी सेलिब्रिटी की आवाज या छवि का व्यावसायिक उपयोग उनके व्यक्तित्व अधिकारों (पर्सनैलिटी राइट्स) का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब किसी की पहचान का शोषण करना नहीं है। यह मामला एक मिसाल बन गया, जो दर्शाता है कि एआई के दौर में भी कानून व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है।
डॉ. देवी शेट्टी: हेल्थकेयर में भी नहीं बख्शे गए
हेल्थकेयर सेक्टर में भी एआई का दुरुपयोग देखने को मिला। मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देवी शेट्टी, जिन्होंने नारायणा हृदयालय के जरिए लाखों लोगों की जान बचाई, साइबर क्राइम का शिकार हुए। अपराधियों ने उनके नाम और प्रतिष्ठा का गलत इस्तेमाल करते हुए फर्जी फेसबुक पेज बनाए और एआई-जनरेटेड फेक वीडियो के जरिए लोगों को भ्रमित कर पैसे कमाने की कोशिश की। डॉ. शेट्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसकी शिकायत की। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि किसी भी प्लेटफॉर्म को उनकी छवि, नाम या अस्पताल के ट्रेडमार्क का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं है। यह फैसला एक मजबूत संदेश देता है कि आपकी पहचान आपकी संपत्ति है, चाहे आप डॉक्टर हों या कलाकार।
अमिताभ बच्चन: दिग्गज भी नहीं बचे
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन भी एआई के दुरुपयोग का शिकार हो चुके हैं। नवंबर 2023 में उनके नाम, छवि और आवाज का इस्तेमाल कर फर्जी लॉटरी और भ्रामक एआई-जनरेटेड वीडियो बनाए गए, जो लोगों को ठग रहे थे। अमिताभ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की, और कोर्ट ने उनके व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके नाम, आवाज और छवि के अनधिकृत उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। यह मामला एक ऐतिहासिक फैसला बन गया, जिसने साबित किया कि डिजिटल दुनिया में भी कानून आपकी पहचान की रक्षा कर सकता है।
रवीना टंडन: टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग डरावना
अभिनेत्री रवीना टंडन, जो सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलती हैं, ने भी एआई के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि टेक्नोलॉजी ने हमें नए अवसर दिए हैं, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। अगर किसी की आवाज, चेहरा या अंदाज को बिना अनुमति के एआई के जरिए दोबारा बनाया जाता है, तो यह पहचान का स्पष्ट उल्लंघन है। रवीना इसे डरावना बताती हैं, क्योंकि इसका इस्तेमाल लोगों को भड़काने या भ्रमित करने के लिए भी हो सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज और कानून को इस दिशा में और सक्रिय होने की जरूरत है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पब्लिक फिगर होने का मतलब यह नहीं कि कोई भी उनकी छवि का गलत इस्तेमाल कर सकता है। रवीना का मानना है कि कानून को और सख्त करना होगा ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगे।
जागरूकता और कानून का रास्ता
रवीना ने यह भी कहा कि एआई रेगुलेशन में भारत भले ही थोड़ा देर से कदम उठा रहा हो, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, और कानूनी कार्रवाई भी हो रही है। यह जरूरी है कि हम अपनी डिजिटल पहचान को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहें और कानून का सहारा लें।
कानून और जागरूकता ही रास्ता
एआई का युग नई संभावनाओं के साथ-साथ नई चुनौतियां भी लाया है। अमिताभ बच्चन, अरिजीत सिंह, डॉ. देवी शेट्टी और रवीना टंडन जैसे लोग इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि साइबर क्राइम किसी को नहीं छोड़ता। लेकिन कोर्ट के फैसलों ने यह साबित किया है कि कानून आपकी पहचान की रक्षा के लिए मौजूद है। जरूरत है जागरूकता और सख्त नियमों की, ताकि टेक्नोलॉजी का उपयोग सृजन के लिए हो, न कि शोषण के लिए।