वाराणसी, 24 मई 2025, शनिवार। काशी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी, शनिवार को देशभक्ति के रंग में सराबोर हो उठी। भारतीय सेना के अदम्य साहस और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सम्मान में आयोजित भव्य भारत शौर्य तिरंगा यात्रा ने काशी की पवित्र धरती को राष्ट्रप्रेम के जयघोष से गूंजायमान कर दिया। यह यात्रा न केवल सेना के शौर्य को नमन थी, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की प्रगति का प्रतीक भी बनी।
यात्रा का शुभारंभ: देशभक्ति का जोश
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गेट नं. 2 से शुरू हुई यह ऐतिहासिक यात्रा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान पर जाकर सम्पन्न हुई। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने तिरंगे को झंडी दिखाकर इस यात्रा को रवाना किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य का संबोधन हर दिल को छू गया। उन्होंने गर्व के साथ कहा, “यह यात्रा सेना के शौर्य, राष्ट्र की एकता, और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को नमन करती है। भारत एक है, भारत श्रेष्ठ है, भारत विजेता है!”

तिरंगा यात्रा का भव्य स्वरूप
यह यात्रा अपने आप में एक अनूठा दृश्य थी, जो काशी की सड़कों पर देशभक्ति का अलख जगा रही थी। 250-250 मीटर लंबे तिरंगे को गर्व के साथ थामे हुए हजारों छात्रों का जोश देखते ही बनता था। एनसीसी, स्काउट-गाइड, एनएसएस, सेना और अर्धसैनिक बलों की बैंड टुकड़ियों ने अपनी मधुर धुनों से वातावरण को और उत्साहपूर्ण बना दिया।
यात्रा में समाज के हर वर्ग की भागीदारी ने इसे और भी विशेष बनाया। महिला समूह, पूर्व सैनिक, सफाई मित्र, कोटेदार, सामाजिक संस्थाएं और काशी के आठों विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर इस भव्य आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। हजारों विद्यार्थियों की मौजूदगी ने युवा शक्ति के उत्साह को प्रदर्शित किया, जो भारत के उज्ज्वल भविष्य का संदेश दे रहा था।
माल्यार्पण: वीरता और एकता को नमन
यात्रा से पूर्व, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सरदार वल्लभभाई पटेल और चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर भारत की एकता और वीरता को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह क्षण काशीवासियों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक बना, जो देश के लिए बलिदान देने वाले नायकों को याद करने का अवसर प्रदान करता है।

काशी में गूंजा ‘वंदे मातरम्’
यात्रा के दौरान काशी की गलियां ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से गूंज उठीं। राजनीति, शिक्षा, समाज सेवा और आध्यात्मिक जगत के सैकड़ों विशिष्टजन इस आयोजन का हिस्सा बने। यह नजारा न केवल काशी की एकता को दर्शाता था, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा बन गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सम्मान
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना के शौर्य और समर्पण का प्रतीक है। इस यात्रा के माध्यम से काशी ने न केवल सेना के बलिदान को सलाम किया, बल्कि देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम और एकता का संदेश भी दिया। यह आयोजन काशी की गंगा-जमुनी तहजीब और भारत की सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत करने वाला सिद्ध हुआ।
एकता और शौर्य का प्रतीक
भारत शौर्य तिरंगा यात्रा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि देश के गौरव, एकता और अखंडता का उत्सव थी। काशी की सड़कों पर लहराता तिरंगा और गूंजते नारे इस बात का प्रमाण थे कि भारत का हर नागरिक अपने देश के लिए गर्व और समर्पण से भरा हुआ है। यह यात्रा नई पीढ़ी को प्रेरित करने और सेना के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अनुपम उदाहरण बनी।
जय हिंद! जय भारत!