✍️ अनिता चौधरी
कर्नाटक, हिंदुस्तान के दक्षिण भारत का यह हिस्सा हजारों देशी और विदेशी सैलानियों के दिलों में बसा हुआ है। गुरुवार का दिन देश के 18 राज्यों के साथ-साथ कर्नाटक के लिए भी महत्वपूर्ण रहा, जब प्रधानमंत्री मोदी ने आधुनिकरण, नवीनीकरण और विरासत को अपने अंदर समेटे 103 रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन किया। इन 103 में से पाँच कर्नाटक के रेलवे स्टेशन थे, जिनका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। इनके नाम मुनीराबाद, बागलकोट, गदग, गोकक रोड और हुबली-धारवाड़ हैं। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत इन सभी स्टेशनों को अपग्रेड किया गया है। इन अपग्रेडेड रेलवे स्टेशनों को आधुनिकरण और सांस्कृतिक विरासत के समन्वय के साथ सुसज्जित किया गया है, जहाँ वाई-फाई से लैस वर्क स्टेशन, अत्यंत आधुनिक और आरामदायक वेटिंग रूम, वॉशरूम और अन्य सुविधाएँ दी गई हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी से बात करते हुए साउथ-वेस्टर्न रेलवे के जनरल मैनेजर मुकुल सरन माथुर ने बताया कि एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस इन रेलवे स्टेशनों में न केवल आधुनिकता और सुविधाएँ हैं, बल्कि कर्नाटक की संस्कृति भी पूरी तरह समाई हुई है, जो रेलवे स्टेशनों की दीवारों पर आपको नजर आएंगी।
कर्नाटक का हुबली-धारवाड़ दुनिया के सबसे बड़े रेलवे प्लेटफॉर्म के रूप में जाना जाता है और इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। हुबली रेलवे स्टेशन का नया नाम हुबली के आध्यात्मिक गुरु श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी के नाम पर वर्ष 2023 में रखा गया। मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हुबली-धारवाड़ ट्विन सिटी के रूप में जाना जाता है। धारवाड़ रेलवे स्टेशन, हुबली रेलवे स्टेशन (श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी रेलवे स्टेशन) का विस्तार है। श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुबली के आध्यात्मिक गुरु हैं। 1919 में श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी का हुबली में भगवान शिव के स्वरूप में अद्वैत गुरु के रूप में उद्भव हुआ था, जो आज भी हुबली की रक्षा करते हैं और हुबली की धड़कन माने जाते हैं।
साउथ-वेस्टर्न रेलवे के जीएम मुकुल सरन माथुर ने बताया कि हुबली प्लेटफॉर्म को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। इस रेलवे स्टेशन का पूरा नाम श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुबली जंक्शन है। यह स्टेशन कर्नाटक के लोंडा की ओर एक महत्वपूर्ण क्रॉसरोड है, जो होसापेटे, वास्को-डि-गामा और बेंगलुरु को भी जोड़ता है। हुबली स्टेशन पर कुल 8 प्लेटफॉर्म हैं, पहले यहाँ केवल 5 प्लेटफॉर्म ही हुआ करते थे। प्लेटफॉर्म संख्या 8 की लंबाई 1507 मीटर है, जो बहुत लंबा है। इस स्टेशन का विकास ब्रिटिश काल में 1880 में किया गया था। यह दुनिया का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म है, जिसकी लंबाई इतनी है कि इलेक्ट्रिक इंजन वाली दो ट्रेनें एक साथ इस प्लेटफॉर्म से विपरीत दिशाओं में यात्रा कर सकती हैं। इस रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास में 20 करोड़ की राशि खर्च हुई है।