लखनऊ, 22 मई 2025, गुरुवार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक अदालत में एक ऐसी कहानी सामने आई, जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक सीरियल किलर, नरभक्षी, और मानव खोपड़ियों का संग्रहकर्ता, जिसका नाम है राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन। इस खूंखार अपराधी को साल 2000 में हुए डबल मर्डर के मामले में दोषी ठहराया गया है। शुक्रवार को लखनऊ की अदालत में जज रोहित सिंह इस मामले में सजा का ऐलान करेंगे। यह कहानी सिर्फ हत्या की नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स की है, जो इंसानी दिमाग का सूप पीता था और खोपड़ियों को ट्रॉफी की तरह संजोता था।
खौफनाक अपराध की शुरुआत
साल 2000, 24 जनवरी। लखनऊ से रीवा जा रहे मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव अपनी गाड़ी में चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को लेकर निकले। इनमें एक महिला भी थी। उनकी आखिरी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में एक चाय की दुकान पर मिली। इसके बाद, दोनों गायब हो गए। तीन दिन तक कोई सुराग नहीं मिला। परिजनों ने नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन तलाश बेकार रही। आखिरकार, प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों में दोनों के क्षत-विक्षत शव बरामद हुए।
राजा कोलंदर का काला सच
जांच आगे बढ़ी तो पुलिस के हाथ एक नाम लगा—राजा कोलंदर। असल में राम निरंजन कोल, जो नैनी के केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मचारी था। इस मामले में राजा और उसके साले बच्छराज कोल को गिरफ्तार किया गया। जांच में जो खुलासा हुआ, वह किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं था। राजा के फार्महाउस से 14 मानव खोपड़ियां बरामद हुईं। यह सिर्फ हत्या का मामला नहीं था; राजा पर आरोप था कि वह अपने शिकार का सिर काटकर उनके दिमाग का सूप बनाता और पीता था।
इससे पहले भी राजा कोलंदर और बच्छराज को पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी थी। उस मामले में भी खोपड़ियां बरामद हुई थीं, जिसने राजा के नरभक्षी होने की सनसनीखेज सच्चाई उजागर की।
25 साल की कानूनी लड़ाई
मनोज और रवि की हत्या का मामला मनोज के पिता शिव हर्ष सिंह ने दर्ज कराया था। पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की, लेकिन कानूनी पेचीदगियों ने सुनवाई को 2013 तक टाल दिया। इस लंबी लड़ाई में 12 गवाहों की गवाही ली गई, जिसमें सबसे अहम रहे शिव हर्ष के भाई शिव शंकर। उनकी गवाही ने साबित किया कि यह अपराध सुनियोजित था, जिसमें अपहरण, लूट और हत्या शामिल थी। शिव शंकर ने मनोज की भूरी कोट को भी आरोपी के घर से पहचाना, जो जांच का निर्णायक सबूत बना।
सजा का अंतिम इंतजार
प्रयागराज के शंकरगढ़ का यह नरभक्षी अब सजा के कटघरे में है। 25 साल बाद, मनोज और रवि के परिवार को इंसाफ की उम्मीद जगी है। राजा कोलंदर की कहानी न केवल एक अपराध की दास्तान है, बल्कि मानवता को झकझोरने वाली एक ऐसी सच्चाई है, जो समाज में छिपे खतरों की याद दिलाती है। क्या इस खौफनाक अपराधी को मिलने वाली सजा पीड़ितों के परिवारों को सुकून दे पाएगी? इसका जवाब शुक्रवार को अदालत के फैसले में छिपा है।