वाराणसी, 22 मई 2025, गुरुवार। वाराणसी के पवित्र संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा के घर एक ऐसी चोरी की वारदात ने शहर को हिलाकर रख दिया, जिसका ताना-बाना उनके ही नौकरों और पूर्व कर्मचारियों ने दो महीने की गुप्त साजिश के बाद बुना। यह चोरी सिर्फ घरेलू गहनों तक सीमित नहीं थी, बल्कि चोरों की नजर मंदिर के बेशकीमती आभूषणों, सोने-चांदी के बर्तनों और माणिकों पर थी। करीब 3 करोड़ रुपये की ज्वैलरी और लाखों की नकदी लूटने की इस साजिश में नौकरों ने अपने ही मालिक के भरोसे को तार-तार कर दिया।
चोरी का सुनियोजित षड्यंत्र
यह सनसनीखेज वारदात रविवार की सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच हुई, जब महंत और उनका परिवार दिल्ली में थे। चोरों ने मौके का फायदा उठाते हुए अलमारियों और तालों को तोड़कर सदी पुराने हीरे, सोने-चांदी के गहने, माणिक और तीन लाख रुपये नकद लूट लिए। खास बात यह थी कि चोरी का ब्लूप्रिंट दो महीने पहले ही तैयार हो चुका था। इसमें शामिल थे- मंदिर के पूर्व कर्मचारी विक्की तिवारी, जितेंद्र सिंह, राकेश दुबे और वर्तमान नौकर दिलीप, जिन्होंने घर का चप्पा-चप्पा रेकी कर साजिश को अंजाम दिया।
चोरों को घर के सीसीटीवी कैमरों की सटीक जानकारी थी। यही वजह थी कि सभी ने मुंह बांधकर वारदात को अंजाम दिया। दिलीप ने दरवाजा खुला छोड़कर चोरों को अंदर आने में मदद की। मंदिर के चढ़ावे वाले कमरे को सबसे पहले खाली किया गया, जहां सोने-चांदी के बर्तन, आभूषण और पूजा सामग्री रखी थी। इसके बाद घर की दूसरी ज्वैलरी पर हाथ साफ किया गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और एनकाउंटर
पुलिस ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए 140 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले और 11 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद चोरों की पहचान कर ली। रामनगर कोदोपुर में माल बांटते समय पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने छह बदमाशों को धर दबोचा। इस दौरान हुई मुठभेड़ में तीन बदमाशों के पैर में गोली लगी, जबकि बाकी तीन को दौड़ाकर पकड़ा गया। एक आरोपी, जो पूर्व नौकर था, फरार होने में कामयाब रहा।
पुलिस को बदमाशों से 391 बेशकीमती सामान बरामद हुए, जिनकी कीमत 3 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई। इसमें मंदिर के सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन और माणिक शामिल थे, जिनमें से कुछ सैकड़ों साल पुराने थे। हैरानी की बात यह थी कि बरामद सामान में कुछ ऐसी चीजें भी थीं, जिनका जिक्र महंत की तहरीर में नहीं था। हालांकि, महंत ने इस कार्रवाई पर संतुष्टि जताई, लेकिन कोई टिप्पणी करने से बचते नजर आए।
साजिश की परतें और कबूलनामा
पकड़े गए बदमाशों ने पुलिस को बताया कि वे एक साल से मंदिर में चढ़ने वाले आभूषणों और नकदी पर नजर रख रहे थे। महंत के घर में बने विशेष लॉकर में ये बेशकीमती सामान रखा जाता था। जब उन्हें पता चला कि महंत अपनी पत्नी आभा मिश्रा के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे हैं, तो उन्होंने मौके को भुनाने की ठान ली। दोपहर का समय चुना गया, जब घर खाली रहता था। पूर्व कर्मचारियों को घर की पूरी जानकारी थी, और वर्तमान नौकर दिलीप ने अंदर की खबरें पहुंचाकर साजिश को अंजाम दिया।
पहले भी हो चुकी है चोरी
यह पहली बार नहीं है जब महंत के आवास पर चोरी की वारदात हुई। साल 2010 में तुलसीघाट से तुलसीदास की लिखी एक पांडुलिपि चोरी हुई थी, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया था। हाल ही में भी एक कमरे का ताला तोड़ा गया था, लेकिन सामान सुरक्षित होने के कारण शिकायत नहीं की गई।
आस्था पर चोट, फिर भी जीता भरोसा
यह चोरी न केवल एक आपराधिक घटना थी, बल्कि आस्था और विश्वास पर गहरा आघात थी। संकटमोचन मंदिर, जो लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है, उसके खजाने पर नौकरों की साजिश ने कई सवाल खड़े किए। फिर भी, पुलिस की त्वरित कार्रवाई और बरामदगी ने यह भरोसा जगाया कि इंसाफ की जीत होगी। इस घटना ने यह भी सिखाया कि सतर्कता और तकनीक की मदद से कितनी भी सुनियोजित साजिश को नाकाम किया जा सकता है।