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Thursday, June 26, 2025

इमली के पेड़ तले बस्तर का नया सवेरा: सीएम साय का शांति और विकास का संकल्प

बीजापुर/दंतेवाड़ा, 15 मई 2025, गुरुवार। छत्तीसगढ़ के बस्तर में, जहाँ कभी बंदूक की गूंज और बारूद की गंध हावी थी, आज इमली के पेड़ की छांव में एक नई कहानी लिखी जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नक्सल प्रभावित बीजापुर और दंतेवाड़ा के सुदूर गाँवों में कदम रखा, जहाँ उन्होंने सुरक्षा बलों के साथ शांति और विकास की रणनीति पर गहरा संवाद किया। गलगम के सीआरपीएफ कैंप में जवानों से मुलाकात कर उन्होंने उनका हौसला बढ़ाया और कहा, “यह जंग अब सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार और विकास के हथियारों से लड़ी जाएगी।”

कर्रेगुट्टा: सैन्य जीत से शांति की राह तक

हाल ही में कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर हुआ देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान बस्तर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 31 खूंखार नक्सलियों को ढेर किया, जिनमें संगठन के बड़े कैडर शामिल थे। 450 से ज्यादा विस्फोटक उपकरण (आईईडी) निष्क्रिय किए गए और अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए। मुख्यमंत्री ने इसे केवल सैन्य जीत नहीं, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और समृद्धि का अवसर बताया। “यह बस्तर के नए युग की शुरुआत है,” उन्होंने जोश के साथ कहा।

सुशासन तिहार: गाँव-गाँव तक सरकार

सीएम साय का यह दौरा ‘सुशासन तिहार’ पहल का हिस्सा था, जिसके तहत सरकार सीधे गाँवों तक पहुँच रही है। बीजापुर की ग्राम पंचायत मुलेर में उन्होंने विकास कार्यों का जायजा लिया। गाँववाले बताते हैं कि मुख्यमंत्री बिना किसी तामझाम के आ धमकते हैं और सीधे सवाल पूछते हैं— “राशन मिला? स्कूल चल रहा है? आवास मिला? आयुष्मान कार्ड बना?” अगर जवाब ‘नहीं’ होता, तो मौके पर ही अधिकारियों की जवाबदेही तय हो जाती है। यह सादगी और त्वरित कार्रवाई ही साय की पहचान बन रही है।

मुलेर: छोटा गाँव, बड़ी कहानी

मुलेर, जहाँ की आबादी महज 474 है, अब विकास की नई इबारत लिख रहा है। मुख्यमंत्री ने यहाँ नई प्राथमिक शाला की प्रगति देखी, 22 प्रधानमंत्री आवासों का निरीक्षण किया और 4.5 लाख रुपये की लागत से बन रहे सामुदायिक शौचालयों की जानकारी ली। गाँव की महिलाएँ भी पीछे नहीं हैं। लक्ष्मी स्व-सहायता समूह ने कुछ ही समय में 40,000 रुपये का मुनाफा कमाया। सीएम ने इसे सराहते हुए कहा, “आर्थिक आत्मनिर्भरता ही सच्चा लोकतंत्र है।”

बंदूक की जगह किताब, बारूद की जगह सपने

बीजापुर की सेंट्रल लाइब्रेरी अब सिर्फ किताबों का ठिकाना नहीं, बल्कि एक आधुनिक लर्निंग हब है। यहाँ 22 जनवरी 2025 से शुरू हुए कंप्यूटर प्रशिक्षण में 30 छात्र हिस्सा ले रहे हैं, तो 1 अप्रैल से चल रही निःशुल्क करियर कक्षाओं में 60 युवा अपने सपनों को पंख दे रहे हैं। VR सेट, डेलाइट स्कोप और एलेक्सा जैसी तकनीकों ने पढ़ाई को रोमांचक बना दिया है। बच्चे अब किताबों से ज्यादा अनुभवों से सीख रहे हैं।

बदलाव की उड़ान: ड्रोन और रोजगार

पुराने नवोदय छात्रावास में चल रहा पुनर्वास केंद्र बस्तर के बदलते चेहरे की जीती-जागती मिसाल है। यहाँ 90 आत्मसमर्पित नक्सली नया जीवन शुरू कर रहे हैं। वे ड्रोन ऑपरेटर, पॉल्ट्री फार्मर और टैक्सी ड्राइवर जैसे हुनर सीख रहे हैं। कल तक जो बंदूक थामे थे, आज वे ड्रोन उड़ाने का सपना देख रहे हैं।

बस्तर की नई गूंज: बच्चों की हँसी

मुख्यमंत्री साय का संदेश साफ है— बस्तर अब हिंसा का नहीं, हँसी और उम्मीद का गढ़ बनेगा। जहाँ कभी बारूद की गंध थी, वहाँ अब स्कूलों की घंटियाँ बज रही हैं। जहाँ डर का साया था, वहाँ अब स्व-सहायता समूहों की उमंग है। इमली के पेड़ तले शुरू हुआ यह संवाद बस्तर को शांति और समृद्धि की नई राह दिखा रहा है।

बस्तर बदल रहा है, और यह बदलाव सिर्फ शुरुआत है।

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