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Friday, June 27, 2025

जीबी रोड का काला सच: नाबालिग लड़कियों की तस्करी और अमानवीयता की कहानी

नई दिल्ली, 13 मई 2025, मंगलवार। दिल्ली का जीबी रोड, एक ऐसी जगह जहां रात के अंधेरे में इंसानियत दम तोड़ती है। बाहर से यह एक व्यस्त बाजार जैसा दिखता है, लेकिन इसके भीतर छिपा है एक ऐसा काला सच, जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक पॉडकास्ट ने जीबी रोड की इस भयावह हकीकत को उजागर किया है, जिसने लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया। यह कहानी है नाबालिग लड़कियों की तस्करी, शारीरिक शोषण और ऐसी क्रूरता की, जो किसी का भी दिल दहला दे।

नाबालिग लड़कियों पर ढाया जाने वाला जुल्म

पॉडकास्ट में सामाजिक कार्यकर्ता अतुल शर्मा, जो पिछले 30 सालों से सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं, ने जीबी रोड की भयावह सच्चाई को बयां किया। उन्होंने बताया कि कैसे छोटी-छोटी बच्चियों को अगवा कर या बहला-फुसलाकर इस दलदल में धकेल दिया जाता है। इन नाबालिग लड़कियों को जवान दिखाने के लिए ऑक्सीटोसिन जैसे खतरनाक इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि उनके शरीर को समय से पहले विकसित किया जा सके। यह सुनकर ही रूह कांप जाती है कि इन मासूम बच्चियों को एक दिन में 15 से 20 ग्राहकों के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने पड़ते हैं।

ग्राहकों को लुभाने की क्रूर साजिश

जीबी रोड की गलियों में लड़कियों को खिड़कियों पर इस तरह खड़ा किया जाता है कि उनका चेहरा और शरीर का ऊपरी हिस्सा दिखे, क्योंकि ग्राहक इन्हीं चीजों को देखकर आकर्षित होते हैं। अतुल शर्मा ने बताया कि खूबसूरत और खुशबूदार लड़कियों को ऐसे ग्राहकों के हवाले कर दिया जाता है, जिनकी शक्ल देखकर कोई पानी तक न पिए। सबसे दर्दनाक बात यह है कि इन लड़कियों को शुरुआत में कंडोम इस्तेमाल करने की इजाजत तक नहीं दी जाती, क्योंकि इससे उनकी मालकिन को अतिरिक्त कमाई होती है। जब लड़की गर्भवती हो जाती है, तो उसका बच्चा छीन लिया जाता है। अपने ही बच्चे से मिलने के लिए उसे 200 रुपये चुकाने पड़ते हैं।

अमानवीय परिस्थितियों में जीने को मजबूर

जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स की जिंदगी नरक से कम नहीं। अतुल शर्मा ने बताया कि ये लड़कियां ऐसी गंदगी और बदबू में खाना खाती हैं, जहां लोग थूकते हैं, कंडोम फेंकते हैं, और यहां तक कि उनके पास पेशाब भी करते हैं। कई नाबालिग लड़कियां इस अमानवीय शोषण को सहते-सहते दम तोड़ देती हैं। बाजार में नाबालिग लड़कियों की मांग सबसे ज्यादा है, और यही वजह है कि यह घिनौना धंधा फल-फूल रहा है।

सोशल मीडिया पर गुस्सा और सवाल

यह वीडियो @askshivanisahu
नाम के X अकाउंट से शेयर किया गया, जिसे लाखों लोग देख चुके हैं। यूजर्स ने इस पर गुस्सा और दुख जाहिर किया है। एक यूजर ने सवाल उठाया, “सरकार इन रेडलाइट एरियाज को बंद क्यों नहीं करवा पा रही?” एक अन्य यूजर ने लिखा, “यह सुनकर कानों से खून निकल रहा है।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने यह भी दावा किया कि कई लड़कियां अपनी मर्जी से इस पेशे में आती हैं, और ज्यादातर नेपाल या बांग्लादेश से होती हैं। इन दावों की सच्चाई कितनी है, यह जांच का विषय है।

क्या है इस दलदल से निकलने का रास्ता?

अतुल शर्मा जैसी सामाजिक कार्यकर्ताएं इस अंधेरे से कई लड़कियों को निकालने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने न सिर्फ सेक्स वर्कर्स को बचाया है, बल्कि उनके अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई है। लेकिन यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि आखिर कब तक मासूम बच्चियां इस क्रूर व्यवस्था की बलि चढ़ती रहेंगी? क्या समाज और सरकार इस काले धंधे को जड़ से उखाड़ने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे?

जीबी रोड की यह कहानी सिर्फ एक रेडलाइट एरिया की नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक और व्यवस्थागत विफलताओं की है। यह एक ज्वलंत सवाल है कि क्या हम सचमुच महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, या यह सिर्फ खोखले दावे हैं? इस सच्चाई को नजरअंदाज करना अब और मुमकिन नहीं।

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