नई दिल्ली, 12 मई 2025, सोमवार। गुरुग्राम के सेक्टर-34 में दिल्ली-जयपुर हाईवे के किनारे एक ऐसी चोरी ने सबको चौंका दिया है, जिसने न केवल पुलिस बल्कि बैंक अधिकारियों को भी असमंजस में डाल दिया। यहां रिको ऑटो इंडस्ट्रीज के पास स्थित एक्सिस बैंक के एटीएम से 10 लाख रुपये चोरी हो गए, और हैरानी की बात यह है कि न तो एटीएम को उखाड़ा गया, न तोड़ा गया, और न ही कोई अलार्म बजा। यह गुरुग्राम में अपनी तरह का पहला मामला है, जिसने जांच एजेंसियों के सामने एक अनसुलझी पहेली खड़ी कर दी है।
कैसे हुआ यह कमाल?
30 अप्रैल की रात को अज्ञात चोरों ने इस एटीएम को अपना निशाना बनाया। इस एटीएम का रखरखाव हिटाची पेमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी करती है, जिसका मुख्यालय चेन्नई में है। कंपनी के वकील गौरव कुमार ने सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एटीएम में 10 लाख रुपये थे, जो बिना किसी नुकसान के चोरी हो गए। चोरों ने न केवल रुपये उड़ाए, बल्कि एटीएम का डीवीआर, बैटरी, हार्ड डिस्क, पीसी कोर और चेस्ट लॉक भी गायब कर दिया। यह सब इतनी सफाई से हुआ कि कोई सुराग तक नहीं मिला।
पुलिस की शंका: अंदरूनी साठ-गांठ?
गुरुग्राम पुलिस ने इस मामले में तुरंत जांच शुरू की और रखरखाव कंपनी को नोटिस जारी किया। पुलिस को शक है कि इस चोरी में कंपनी के किसी कर्मचारी या अधिकारी की मिलीभगत हो सकती है। हर एटीएम एक अलार्म सिस्टम से लैस होता है, जो किसी भी अनधिकृत गतिविधि पर तुरंत सक्रिय हो जाता है। लेकिन इस मामले में अलार्म खामोश रहा। पुलिस अब रिको कंपनी और आसपास के सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच कर रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चोरी की शिकायत 10 दिन बाद दर्ज की गई। सदर थाना प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि कंपनी की शिकायत संदिग्ध लग रही है। चाबी और डिजिटल लॉक का पासवर्ड केवल कंपनी के कर्मचारियों के पास होता है। ऐसे में बिना तोड़े-फोड़े इतनी बड़ी राशि गायब होना कई सवाल खड़े करता है।
हैकिंग या तकनीकी चालबाजी?
पुलिस इस पहलू की भी जांच कर रही है कि कहीं यह चोरी हैकिंग के जरिए तो नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने बताया कि उनकी सर्विलांस टीम को पता चला कि एटीएम से 10 लाख रुपये निकाले गए हैं, लेकिन यह राशि किस खाते में गई, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रहस्य इस मामले को और पेचीदा बनाता है। क्या चोरों ने एटीएम के सिस्टम को हैक किया? या यह कोई तकनीकी चाल थी? पुलिस हर कोण से जांच कर रही है।
“यह आश्चर्यजनक है!”
सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक नितिन राणा ने इस घटना को अभूतपूर्व बताया। उनके अनुसार, एटीएम खोलने के लिए चाबी और डिजिटल लॉक का पासवर्ड जरूरी होता है। इसके बाद ही रुपये की ट्रे तक पहुंचा जा सकता है। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन मॉनिटर की जाती है। ऐसे में बिना किसी नुकसान के 10 लाख रुपये गायब होना तकनीकी रूप से असंभव-सा लगता है।
क्या है अगला कदम?
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और कंपनी से कई सवालों के जवाब मांगे हैं। आसपास के सीसीटीवी फुटेज, रखरखाव कर्मचारियों की गतिविधियां, और संभावित हैकिंग के पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। यह मामला न केवल गुरुग्राम बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह एटीएम सुरक्षा और तकनीकी खामियों पर बड़े सवाल उठाता है।
क्या यह चोरी किसी अंदरूनी साजिश का नतीजा है? या फिर हैकर्स की नई करामात? जवाब मिलने में वक्त लग सकता है, लेकिन एक बात तय है—यह चोरी गुरुग्राम के अपराध इतिहास में एक अनोखा अध्याय जोड़ चुकी है।