N/A
Total Visitor
33 C
Delhi
Thursday, June 26, 2025

पाकिस्तान का झूठ बेनकाब: वैश्विक आतंकी हाफिज रऊफ को ‘मौलवी’ बताने की नाकाम साजिश

नई दिल्ली, 12 मई 2025, सोमवार। पाकिस्तान भले ही कितनी भी कोशिश कर ले, उसका आतंकियों को पनाह देने का काला सच दुनिया के सामने बार-बार उजागर हो ही जाता है। एक बार फिर पड़ोसी मुल्क की सेना का असली चेहरा बेपर्दा हुआ है, और इस बार सबूत इतने पुख्ता हैं कि पाकिस्तान के झूठ की पोल खुलकर रह गई। वैश्विक आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ, जिसे पाकिस्तानी सेना ने “मासूम मौलवी” और “आम नागरिक” बताकर बचाने की नाकाम कोशिश की, अब उसकी असलियत पूरी दुनिया के सामने है।

आतंकी के जनाजे में पाक सेना की “हमदर्दी”

हाल ही में भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस ऑपरेशन में कई बड़े आतंकी मारे गए। लेकिन हैरान करने वाली बात यह थी कि पाकिस्तानी सेना के अफसर खुद इन आतंकियों के जनाजे में आंसू बहाने पहुंचे। और तो और, जनाजे की नमाज पढ़ाने वाला कोई और नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ था। उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गईं।

पाक सेना का झूठ और ID कार्ड की सच्चाई

वायरल तस्वीर से बौखलाए पाकिस्तानी सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सफाई देने की कोशिश की। सेना के प्रवक्ता (DG ISPR) ने दावा किया कि तस्वीर में दिख रहा शख्स कोई आतंकी नहीं, बल्कि एक “धर्मगुरु” और “आम आदमी” है। सबूत के तौर पर उन्होंने एक नेशनल ID कार्ड भी दिखाया। लेकिन यही ID कार्ड उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुआ। जांच में पता चला कि कार्ड पर दर्ज नाम, जन्मतिथि और नेशनल ID नंबर हाफिज अब्दुल रऊफ से पूरी तरह मेल खाते हैं।

हाफिज अब्दुल रऊफ कोई मामूली शख्स नहीं, बल्कि अमेरिकी वित्त मंत्रालय (OFAC) द्वारा “विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी” (Specially Designated Global Terrorist) घोषित किया गया है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के अनुसार, रऊफ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इसके फ्रंट संगठनों के लिए फंड जुटाने का मास्टरमाइंड है। वह 1999 से लश्कर का वरिष्ठ कमांडर रहा है और हाफिज सईद के इशारों पर काम करता है।

आतंक का “धर्मगुरु” और फंडिंग का खेल

पाकिस्तानी सेना ने जिस ID कार्ड को “सबूत” बनाया, उसमें रऊफ को PMML (पाकिस्तान मिल्ली मुस्लिम लीग) का वेलफेयर विंग इंचार्ज बताया गया। लेकिन हकीकत यह है कि रऊफ लश्कर के फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) के जरिए आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाता रहा है। वह 2008 के मुंबई हमलों जैसी साजिशों में शामिल रहा और मुंबई हमलों के बाद जब लश्कर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तब उसने FIF के बैनर तले फंड जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए। 2009 में इन आयोजनों से उसने भारी मात्रा में पैसा इकट्ठा किया था।

रऊफ की “सेवाओं” का आलम यह था कि 2008 में हाफिज सईद की तरह आतंकी साजिशों का “मेन इवेंट” प्लान करता रहा। 2003 में वह लश्कर का डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस था, और 2008 में उसे डायरेक्टर ऑफ ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ बनाया गया। उसी साल हाफिज सईद के कहने पर उसने बाजौर क्षेत्र में फंडरेजिंग और राहत गतिविधियों की समीक्षा के लिए एक टीम का नेतृत्व भी किया।

पाकिस्तान का बार-बार बेनकाब होना

पाकिस्तान की सेना ने रऊफ को “फैमिली मैन” और “मौलवी” बताकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन उनके अपने ही सबूतों ने उनकी साजिश को बेपर्दा कर दिया। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान का दोहरा चेहरा सामने आया है। आतंकियों को पनाह देना, उन्हें “मासूम” बताना और फिर दुनिया के सामने झूठ का जाल बुनना—यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति रही है। लेकिन हर बार की तरह, इस बार भी सच ने उनके झूठ को ध्वस्त कर दिया।

हाफिज अब्दुल रऊफ जैसे आतंकियों को “धर्मगुरु” का लबादा पहनाकर बचाने की कोशिशें तब तक कामयाब नहीं होंगी, जब तक दुनिया सच को देख रही है। पाकिस्तान का यह काला सच अब किसी से छिपा नहीं है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »