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Monday, June 23, 2025

एशान्या के आंसुओं का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर ने लिया सुहाग का बदला

एशान्या की पुकार: ‘थैंक्यू मेरे देश, मेरी सेना, मेरे PM’ – सिंदूर का बदला पूरा

भारत की हुंकार: शहादत का बदला, आतंक का खात्मा

नई दिल्ली, 7 मई 2025, बुधवार। पहलगाम के उस काले दिन को याद करते हुए कानपुर श्याम नगर के संजय द्विवेदी की आंखें आज भी नम हो जाती हैं। 22 अप्रैल को आतंकी हमले में उनके बेटे शुभम द्विवेदी ने देश के लिए अपनी जान गंवाई थी। उस दिन से संजय और उनकी बहू एशान्या के दिल में एक ही सवाल गूंज रहा था—हमारे बच्चों की शहादत का बदला कब लिया जाएगा? लेकिन बीती रात, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के नौ ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया, तब जाकर उनके जख्मों पर हल्का-सा मरहम लगा।

संजय उस रात टीवी के सामने बैठे थे। जैसे ही स्क्रीन पर “ऑपरेशन सिंदूर” की खबरें चमकीं, उनकी रुंधी हुई आवाज में गर्व और राहत की लहर दौड़ गई। उन्होंने कहा, “हमारे कलेजे को ठंडक मिलने की शुरुआत हो गई है। हमारी सेना ने दिखा दिया कि भारत अपने वीरों के खून की कीमत वसूल करना जानता है।” संजय ने बताया कि जिस हमले में उनका बेटा शहीद हुआ, उसकी साजिश आतंकी मसूद अजहर ने रची थी। बहावलपुर में उसके ठिकाने को ध्वस्त करने की खबर ने उन्हें सुकून दिया। “मेरे बेटे का दुख तो हमेशा रहेगा, लेकिन यह यकीन हो गया कि उसके कातिल अब नहीं बचेंगे,” उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा।

घर में बैठी शुभम की पत्नी एशान्या की नजरें भी टीवी पर जमी थीं। जैसे ही स्ट्राइक की खबरें आईं, उनकी आंखों से आंसुओं की धार बह निकली। रुंधे गले से उन्होंने कहा, “थैंक्यू मेरे देश, मेरी सेना, मेरे प्रधानमंत्री। आपने मेरे सिंदूर का बदला ले लिया।” ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम उनके लिए सिर्फ एक मिशन का नाम नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी की वो सच्चाई थी, जिसे आतंकियों ने छीन लिया था। एशान्या ने बताया, “हम बैसरन घाटी में अमन-चैन की सैर को गए थे। कौन जानता था कि वहां मेरा सुहाग उजड़ जाएगा? लेकिन हमारी सेना ने उसी क्रूरता से जवाब दिया, जिस भाषा में आतंकियों ने हमारा सबकुछ छीना।”

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या

एशान्या की आवाज में दर्द के साथ-साथ एक दृढ़ संकल्प भी था। उन्होंने प्रधानमंत्री से सिर्फ दो मांगें रखीं—शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए और इस हमले के हर गुनहगार, उनके सरपरस्तों और सहयोगियों को सजा दी जाए। “यह स्ट्राइक तब तक न रुके, जब तक एक भी आतंकी जिंदा है,” उन्होंने जोर देकर कहा।

भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई ने न सिर्फ संजय और एशान्या के दिलों को हल्का किया, बल्कि पूरे देश को एक संदेश दिया—भारत अपने वीरों की शहादत को कभी नहीं भूलता। यह ऑपरेशन सिर्फ बदला नहीं, बल्कि इंसाफ की वो लौ है, जो आतंक के अंधेरे को मिटाने के लिए जल रही है। संजय और एशान्या की तरह लाखों भारतीय आज अपनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कह रहे हैं—हमारा देश अजेय है, और हमारे जांबाजों की हर कुर्बानी का हिसाब लिया जाएगा।

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