वाराणसी, 6 मई 2025, मंगलवार। वाराणसी के अर्दली बाजार में मंगलवार की सुबह एक ऐसी त्रासदी घटी, जिसने न केवल एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे मोहल्ले को गम और सन्नाटे में डुबो दिया। 6 मई, मंगलवार की सुबह 9 बजे, कैंट थाना क्षेत्र में एक हादसे ने राजेंद्र जायसवाल (60), उनके बेटे सोनू जायसवाल (30) और बहू प्रीति जायसवाल (28) की जिंदगी छीन ली। करंट की चपेट में आए इस परिवार के तीनों सदस्यों की मौके पर ही मौत हो गई, और पीछे छूट गए दो मासूम बेटियों और एक बूढ़ी दादी का अंतहीन दर्द।
आंधी ने बिछाया मौत का जाल
सोमवार रात को आई आंधी और बारिश ने बिजली के तार को तोड़ दिया, जो घर के बाहर लगे लोहे के तार पर जा गिरा। मंगलवार सुबह प्रीति कपड़े धोकर सुखाने के लिए बाहर गईं। गीले कपड़े लोहे के तार पर डालते ही वह करंट की चपेट में आ गईं और तार से चिपक गईं। पास खड़ा सोनू अपनी पत्नी को बचाने दौड़ा, लेकिन तार को छूते ही वह भी करंट का शिकार हो गया। दोनों को तड़पता देख पिता राजेंद्र ने बचाने की कोशिश की, मगर नियति को कुछ और मंजूर था। वह भी करंट की चपेट में आए, और तीनों की जिंदगी पलभर में थम गई।
बच्चियों का दिल दहलाने वाला मंजर
सोनू की दो बेटियां, शिवांगी (6) और नैन्सी (4), उस सुबह स्कूल गई थीं। सुबह 8:30 बजे सोनू ने उन्हें स्कूल छोड़ा था, वादा किया था कि दोपहर 12 बजे लेने आएगा। लेकिन जब पड़ोसियों ने बच्चियों को स्कूल से घर लाया, तो उनके सामने था मम्मी-पापा और दादाजी का निर्जन शरीर। मासूम नैन्सी ने मां को जगाने की कोशिश की, बोली, “मम्मी, तुम सो रही हो? दूध लाओ, हम और दीदी आ गए!” शिवांगी भी बिलखती रही। यह मंजर देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। रिश्तेदारों ने बच्चियों को संभाला, लेकिन उनके नन्हे दिलों को कौन समझाए?
परिवार का टूटा आशियाना
अर्दली बाजार की सब्जी मंडी के पास रहने वाला यह परिवार साधारण मगर खुशहाल था। राजेंद्र जायसवाल बेकरी में काम करते थे, सोनू फास्ट फूड की दुकान चलाता था, और प्रीति घर संभालती थी। परिवार में सोनू की बीमार दादी दुर्गा देवी, मानसिक रूप से अस्वस्थ बड़ा भाई दिनेश, और दो मासूम बेटियां थीं। सोनू ही घर का सहारा था। अब, इस त्रासदी ने परिवार को पूरी तरह बिखेर दिया। दुर्गा देवी बेटे, पोते और बहू के शव देखकर बार-बार बेहोश हो रही थीं। पड़ोसियों ने उन्हें पानी छिड़ककर होश में लाया, मगर उनका दर्द थमने का नाम नहीं ले रहा।
चार साल पहले भी करंट ने छीनी थी जिंदगी
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पहली बार नहीं जब इस परिवार ने करंट का दंश झेला। चार साल पहले, सोनू के चाचा विपिन जायसवाल की इसी घर में प्रेस से करंट लगने से मौत हो गई थी। उस वक्त प्रेस का तार स्पार्क कर जला, और विपिन उससे चिपक गए। उस हादसे की यादें अभी पूरी तरह धुंधली भी नहीं हुई थीं कि यह नया दुख आ टूटा।
पड़ोसियों का कोहराम, पुलिस का एक्शन
हादसे की खबर फैलते ही मोहल्ले में भीड़ जुट गई। पड़ोसियों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और तीनों शवों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने जांच शुरू की है, लेकिन सवाल यह है कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
अब कौन संभालेगा इन मासूमों को?
घर में अब सिर्फ बीमार दादी, मानसिक रूप से अस्थिर दिनेश, और दो छोटी बच्चियां बची हैं। शिवांगी और नैन्सी का भविष्य अनिश्चितता के अंधेरे में डूब गया है। दुर्गा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कभी बेटे का नाम लेती हैं, कभी पोते और बहू का। पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें और बच्चियों को सांत्वना दे रहे हैं, मगर यह घाव इतना गहरा है कि शायद वक्त भी इसे जल्दी न भर पाए।