नई दिल्ली, 2 मई 2025, शुक्रवार। बिहार, जहां रामायण की पावन कथाएं धरती पर जीवंत होती हैं, अब अपने धार्मिक और सांस्कृतिक वैभव को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। अयोध्या की तर्ज पर सीतामढ़ी का पुनौराधाम, दरभंगा का अहिल्या स्थान, और रामायण सर्किट से जुड़े अन्य पवित्र स्थलों का भव्य विकास न केवल आध्यात्मिकता को नया आयाम देगा, बल्कि पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
पुनौराधाम: मां जानकी की जन्मस्थली का नवोन्मेष
सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मभूमि, पुनौराधाम, को अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर की तरह भव्य और आधुनिक स्वरूप देने की योजना है। 120 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना को मेसर्स डिजाइन एसोसिएट्स इन कॉरपोरेटेड जैसी प्रतिष्ठित संस्था डिजाइन कर रही है। वर्तमान में 17 एकड़ के मंदिर परिसर को और विस्तार देने के लिए 50 एकड़ अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण शुरू हो चुका है। यह परियोजना न केवल मंदिर को भव्यता प्रदान करेगी, बल्कि इसे विश्वस्तरीय तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करेगी।
सीताकुंड: पवित्रता का आधुनिक सौंदर्य
पूर्वी चंपारण का सीताकुंड, जहां माता सीता की पवित्र स्मृतियां बसी हैं, भी अब नए रंग-रूप में निखरेगा। 6.55 करोड़ रुपये की पहली किस्त के साथ, इस स्थल पर प्रवेश द्वार, कैफेटेरिया, शौचालय, दुकानें और परिसर का सौंदर्यीकरण जैसे कार्य शुरू हो चुके हैं। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम अगले 18 महीनों में इसे एक आकर्षक धार्मिक स्थल में बदल देगा, जहां श्रद्धालु और पर्यटक दोनों आकर्षित होंगे।
पंथपाकर: जहां रुकी थी सीता की डोली
सीतामढ़ी का पंथपाकर, जहां माता सीता की डोली अयोध्या जाते समय रुकी थी, अब भव्यता की नई कहानी लिखने को तैयार है। यहां का पवित्र कुंड, जिसका जल कभी सूखता नहीं, अब पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए और आकर्षक बनेगा। मंदिर विस्तार, थीम आधारित प्रवेश द्वार, पार्किंग, कैफेटेरिया, और तालाब के जीर्णोद्धार जैसे कार्य अगले 24 महीनों में पूरे होंगे। यह स्थल आध्यात्मिकता और प्रकृति के अनूठे संगम का प्रतीक बनेगा।
फूलहर: राम-सीता के प्रथम मिलन का साक्षी
मधुबनी का फूलहर, जहां भगवान राम और माता सीता का पहला मिलन हुआ, अब आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। 5 करोड़ रुपये की पहली किस्त के साथ, इस स्थल पर पार्किंग, चहारदीवारी, लेजर फाउंटेन शो, और घाटों का विकास होगा। अगले दो वर्षों में यह स्थल एक जीवंत पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा, जो रामायण की प्रेम कथा को जीवंत करेगा।
अहिल्या स्थान: आध्यात्मिकता का नया ठिकाना
दरभंगा का अहिल्या स्थान मंदिर भी अब नए स्वरूप में श्रद्धालुओं का स्वागत करेगा। 3.74 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि के साथ, यहां चहारदीवारी, गेस्ट हाउस, मेडिटेशन पौंड, और फाउंटेन जैसे कार्य शुरू होंगे। 18.50 एकड़ भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव भी मंजूरी के लिए भेजा गया है, ताकि भविष्य में इसे और विस्तार दिया जा सके।
रामायण सर्किट: वैश्विक पहचान की ओर
बिहार सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना रामायण सर्किट के सभी स्थलों को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सीतामढ़ी में होटल जानकी विहार का निर्माण भी इस योजना का हिस्सा है, जो पर्यटकों को सुविधाजनक ठहरने की व्यवस्था प्रदान करेगा। ये परियोजनाएं न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देंगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेंगी।
एक नया बिहार, एक नई कहानी
रामायण सर्किट का यह भव्य विकास बिहार को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। ये पवित्र स्थल, जहां राम और सीता की कथाएं गूंजती हैं, अब आधुनिक सुविधाओं और भव्यता के साथ विश्व भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। बिहार, अपनी समृद्ध विरासत को सहेजते हुए, एक नई और प्रेरणादायक कहानी लिखने को तैयार है।