नई दिल्ली, 2 मई 2025, शुक्रवार। शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की एक अहम बैठक हुई, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले और जाति जनगणना जैसे ज्वलंत मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। यह बैठक न केवल देश की सुरक्षा और एकता के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रति पार्टी की दृढ़ निष्ठा को भी रेखांकित करती है। बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक भावनात्मक और विचारोत्तेजक पोस्ट के जरिए पार्टी के रुख को स्पष्ट किया, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और जाति जनगणना के लिए सरकार पर दबाव बनाने की बात कही गई।
पहलगाम हमले पर सरकार की चुप्पी
पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। CWC ने 24 अप्रैल को इस मुद्दे पर तत्काल बैठक बुलाई थी और एक प्रस्ताव पारित कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया था। खरगे ने अपनी पोस्ट में इस बात पर निराशा जताई कि कई दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस रणनीति सामने नहीं आई। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों को सबक सिखाने और देश की एकता को अक्षुण्ण रखने के लिए हम सरकार के साथ हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता चिंताजनक है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता दिखाई। उन्होंने कानपुर में शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात कर मृतकों को शहीद का दर्जा और सम्मान देने की मांग उठाई। खरगे ने जोर देकर कहा कि देश की एकता और खुशहाली के रास्ते में आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए विपक्ष एकजुट है और वैश्विक मंच पर भी यही संदेश दिया गया है।
जाति जनगणना: एक ऐतिहासिक जीत
बैठक का दूसरा प्रमुख मुद्दा जाति जनगणना रहा, जिसे कांग्रेस ने दशकों से अपनी मांग बनाए रखा। खरगे ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी की अगुवाई को सराहा, जिन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान इसे एक शक्तिशाली अभियान में तब्दील कर दिया। राहुल की दृढ़ता और जनता का समर्थन ही वह कारण रहा कि सरकार को आखिरकार जाति जनगणना कराने का फैसला लेना पड़ा। खरगे ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ी जीत करार देते हुए कहा, “राहुल गांधी ने साबित किया है कि सच्चाई और जनता के मुद्दों की लड़ाई में सरकार को झुकना ही पड़ता है।”
उन्होंने भूमि अधिग्रहण बिल और तीन कृषि कानूनों की वापसी का उदाहरण देते हुए बताया कि यह पहली बार नहीं है जब सरकार को कांग्रेस के दबाव में झुकना पड़ा। तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में जाति सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसे सरकारी योजनाओं में लागू किया जा रहा है। खरगे ने गुजरात अधिवेशन में पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए 50% आरक्षण सीलिंग हटाने की मांग को भी दोहराया, जो संवैधानिक संशोधन के जरिए ही संभव है।
सरकार की नीयत पर सवाल
खरगे ने सरकार के अचानक बदले रुख पर सवाल उठाए। उन्होंने याद दिलाया कि 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने जाति जनगणना की मांग की थी, लेकिन तब सरकार ने इसका विरोध किया। प्रधानमंत्री और RSS नेताओं ने इसे “विभाजनकारी” और “शहरी नक्सलवाद” तक करार दिया। खरगे ने तंज कसते हुए कहा, “अचानक हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? सरकार ने हर मंच पर हमारी मांग का विरोध किया, फिर अब यह फैसला क्यों?”
उन्होंने 2011 की जाति जनगणना का जिक्र करते हुए बताया कि यह प्रक्रिया 31 मार्च 2016 तक पूरी हो चुकी थी, जैसा कि सरकार ने 2022 में राज्यसभा में स्वीकार किया। फिर भी, अधूरे आंकड़ों को प्रकाशित करने की मांग को उन्होंने “नासमझी” करार दिया। खरगे ने पुरानी कहावत “देर आए, दुरुस्त आए” का हवाला देते हुए सरकार के फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन यह भी सुनिश्चित करने की बात कही कि जनगणना सही तरीके से हो और इसके परिणामों पर अमल किया जाए।
जाति जनगणना: समाज का एक्स-रे
कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में विस्तृत सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना की मांग को अपने घोषणापत्र में प्रमुखता दी थी। खरगे ने इसे “समाज का एक्स-रे” करार देते हुए कहा कि यह जनगणना न केवल सभी समुदायों की आबादी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को उजागर करेगी, बल्कि राष्ट्रीय संपदा में उनकी हिस्सेदारी और शासन में प्रतिनिधित्व को भी सामने लाएगी। उन्होंने महात्मा गांधी के 1931 के एक संपादकीय का हवाला दिया, जिसमें गांधी ने जनगणना को राष्ट्र के स्वास्थ्य परीक्षण से जोड़ा था। खरगे ने जोर दिया कि जनगणना तभी उपयोगी है, जब सरकार इसके डेटा का उपयोग बेहतरी के लिए करे।
चुनौतियां और रणनीति
खरगे ने चेतावनी दी कि सरकार और RSS की आरक्षण विरोधी सोच के कारण यह मुद्दा बार-बार टाला गया। अब जब जनता कांग्रेस और सहयोगी दलों के साथ जुड़ रही है, तो सरकार के लिए इसे अनदेखा करना मुश्किल हो गया। हालांकि, उन्होंने सरकार की नीयत और बजट आवंटन पर सवाल उठाए। बिहार में BJP नेताओं द्वारा जाति जनगणना का श्रेय लेने और कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिशों पर खरगे ने नाराजगी जताई। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से रणनीति बनाने का आह्वान किया, जिसमें सहयोगी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर जनसभाएं और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की बात शामिल है।
सामाजिक न्याय की लड़ाई
खरगे ने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना कांग्रेस के लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी के खिलाफ उसकी लंबी लड़ाई का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “यह जीत-हार का सवाल नहीं, बल्कि देश के हर वर्ग को न्याय दिलाने का मिशन है।” कांग्रेस की यह प्रतिबद्धता न केवल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता में दिखती है, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए उसके अथक प्रयासों में भी झलकती है।