लखनऊ, 2 मई 2025, शुक्रवार। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कटप्पा’ कहे जाने वाले सुभासपा के पूर्व नेता महेंद्र राजभर ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। शुक्रवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में महेंद्र राजभर ने पार्टी जॉइन की, जिससे पूर्वांचल की सियासत में नया समीकरण बनता दिख रहा है। यह कदम न केवल ओपी राजभर की सुभासपा बल्कि भाजपा के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है।
मोदी का ‘कटप्पा’ अब अखिलेश का ‘हथियार’
2017 के विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट पर सुभासपा ने महेंद्र राजभर को बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ उतारा था। तब पीएम मोदी ने सुभासपा के समर्थन में प्रचार करते हुए महेंद्र को ‘कटप्पा’ की उपमा दी थी और उनकी जीत की अपील की थी। लेकिन बाद में महेंद्र और ओपी राजभर के रास्ते जुदा हो गए। महेंद्र ने सुभासपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी और अपनी अलग राह बनाई। इस बगावत ने सुभासपा को पूर्वांचल में कमजोर किया, खासकर घोसी उपचुनाव और लोकसभा चुनाव में, जहां सुभासपा और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। महेंद्र की घोसी, बलिया और गाजीपुर में मजबूत पकड़ को इन हार का बड़ा कारण माना गया। अब समाजवादी पार्टी में शामिल होकर महेंद्र राजभर पूर्वांचल में सपा के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकते हैं।
अखिलेश का मास्टरस्ट्रोक: सुहेलदेव की प्रतिमा का वादा
महेंद्र राजभर के सपा में शामिल होने के मौके पर अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला। उन्होंने ऐलान किया कि 2027 में सपा की सरकार बनने पर लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर महाराज सुहेलदेव की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह वादा राजभर समुदाय को लुभाने की सपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। साथ ही, अखिलेश ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर सीएम योगी के पुराने बयानों का जिक्र किया और कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही है। अखिलेश ने इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर जोर देते हुए कहा, “हम बीजेपी की चालों से सावधान हैं।”
भाजपा की रणनीति पर सवाल
अखिलेश ने भाजपा पर कट्टर समर्थकों को एकजुट करने के लिए विवादित मुद्दों को हवा देने का आरोप लगाया। उन्होंने मदरसों पर कार्रवाई और वक्फ बिल जैसे कदमों को भाजपा की घबराहट का नतीजा बताया। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा, “भाजपा के वोटों का ग्राफ गिर रहा है, इसलिए वे नफरत फैलाने और समर्थकों को जोड़े रखने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं।” उन्होंने सवाल उठाया कि अगर भाजपा अवैध निर्माण की बात करती है, तो सबसे ज्यादा अनधिकृत निर्माण उनके अपने लोगों के पास क्यों हैं?
पूर्वांचल में सियासी जंग तेज
महेंद्र राजभर का सपा में आना पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा उलटफेर ला सकता है। उनकी क्षेत्रीय पकड़ और राजभर समुदाय में प्रभाव को देखते हुए सपा को मजबूती मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, सुभासपा और भाजपा के लिए यह एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। जैसे-जैसे 2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, अखिलेश यादव की यह चाल पूर्वांचल में सियासी समीकरण बदलने का माद्दा रखती है। क्या यह ‘कटप्पा’ सपा के लिए ‘बाहुबली’ साबित होगा? यह तो वक्त ही बताएगा।