वाराणसी, 28 अप्रैल 2025, सोमवार। वाराणसी, जहां गंगा की लहरें और प्राचीन संस्कृति का संगम है, वहां अब अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने जियो-टैगिंग और डिजिटल मैपिंग की मदद से अवैध निर्माण को चिह्नित करने की ठोस पहल शुरू की है। यह कदम न केवल अनधिकृत निर्माण पर लगाम लगाएगा, बल्कि शहर की सुंदरता और व्यवस्था को भी बनाए रखेगा।
क्या है यह नई तकनीक?
वीडीए ने सैटेलाइट आधारित मैपिंग और जियो-टैगिंग को अपनाया है, जिसके तहत अवैध निर्माणों की पहचान कर उनका डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा विकसित एक खास डिजिटल सॉफ्टवेयर इस काम को और प्रभावी बना रहा है। इस सॉफ्टवेयर की खासियत है कि यह केस रजिस्ट्रेशन, जियो-टैगिंग, ट्रैकिंग, डिजिटल साक्ष्य अपलोड, स्वचालित नोटिफिकेशन और केस मॉनिटरिंग जैसे कामों को आसान बनाता है। स्वचालित अलर्ट सिस्टम के साथ यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी उल्लंघन नजरअंदाज न हो।
कैसे बदलेगी यह तकनीक खेल?
जियो-टैगिंग के जरिए अवैध निर्माण स्थलों की सटीक लोकेशन और मैपिंग होगी, जिससे रिकॉर्ड में छेड़छाड़ असंभव हो जाएगी। फोटो और दस्तावेज जैसे साक्ष्य डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेंगे। नोटिस जारी होने के बाद उल्लंघन की स्थिति में समयबद्ध ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग से कार्रवाई को और तेज किया जा सकेगा। वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग के अनुसार, इस तकनीक से न केवल अवैध निर्माण की निगरानी आसान होगी, बल्कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाएगी।
वाराणसी में तकनीकी क्रांति: जियो-टैगिंग और डिजिटल निगरानी से अवैध निर्माण पर कड़ी नजर!
इस डिजिटल पहल को और मजबूत करने के लिए वीडीए के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्द ही अवैध निर्माण करने वालों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए नोटिस जारी किए जाएंगे और उनकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी। यह तकनीकी क्रांति वाराणसी को न केवल व्यवस्थित बनाएगी, बल्कि शहर के विकास को भी नई दिशा देगी।
वाराणसी अब तकनीक और परंपरा का अनूठा संगम बन रहा है। जियो-टैगिंग और डिजिटल निगरानी के इस नए युग में अवैध निर्माण पर कड़ी नजर रखी जाएगी, जिससे शहर की विरासत और सुंदरता बरकरार रहेगी। यह कदम न केवल वाराणसी, बल्कि अन्य शहरों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।