नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को एक दिल दहलाने वाले आतंकी हमले का गवाह बना। बैसारन घाटी के हरे-भरे मैदानों में, जहां पर्यटक प्रकृति की गोद में सुकून तलाशने आते हैं, आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर लगभग 40 पर्यटकों की जान ले ली और 20 से अधिक को घायल कर दिया। यह पिछले ढाई दशकों में कश्मीर में पर्यटकों पर हुआ सबसे भीषण हमला है, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया।
क्या हुआ बैसारन घाटी में?
दोपहर करीब 2:30 बजे, जब पर्यटक बैसारन के खूबसूरत मैदानों में घुड़सवारी कर रहे थे, पिकनिक मना रहे थे या स्थानीय दुकानों पर खाने-पीने का लुत्फ उठा रहे थे, तभी जंगल से निकले हथियारबंद आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने करीब 70 से ज्यादा पर्यटकों के समूह को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कुछ पर्यटकों को गोली मारने से पहले उनकी धार्मिक पहचान की जांच की गई, जिससे हमले की सुनियोजित और नफरत भरी मंशा का पता चलता है।
हमले में कम से कम दो विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई, जिनमें एक इटालवी और एक इजरायली पर्यटक शामिल हैं। कर्नाटक के शिवमोगा के कारोबारी मंजुनाथ राव भी इस हमले का शिकार बने, जो अपनी पत्नी पल्लवी और बेटे के साथ छुट्टियां मनाने आए थे। पल्लवी ने बताया, “मेरे पति को सिर में गोली मारी गई। आतंकियों ने हिंदुओं को निशाना बनाया।”
आतंकी संगठन की जिम्मेदारी और पाकिस्तान का कनेक्शन
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और सोशल मीडिया पर एक घायल पर्यटक की तस्वीर साझा कर अपनी क्रूरता का प्रदर्शन किया। खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह हमला पाकिस्तान की शह पर किया गया, जिसमें लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित संगठनों ने छोटे-छोटे हिट स्क्वॉड का इस्तेमाल किया। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने अप्रैल में पहलगाम की रेकी की थी और पर्यटक स्थलों व होटलों को निशाना बनाने की साजिश रची थी।
सुरक्षा बलों का जवाब और राहत कार्य
हमले के तुरंत बाद सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इलाके को घेर लिया और आतंकियों की तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। बैसारन घाटी तक सड़क मार्ग न होने के कारण घायलों को हेलीकॉप्टर और स्थानीय लोगों की मदद से घोड़ों पर निकाला गया। पहलगाम के अस्पताल में 12 घायलों को भर्ती किया गया, जिनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। राष्ट्रीय राइफल्स की टीमें आतंकियों को ढूंढने में जुटी हैं, जबकि खुफिया एजेंसियां हमले के पीछे की साजिश का पता लगाने में लगी हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सुरक्षा समीक्षा
इस हमले ने देश भर में आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो सऊदी अरब की यात्रा पर हैं, ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “इस जघन्य कृत्य के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे ” अमानवीय और अक्षम्य” करार दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक आपात बैठक के बाद श्रीनगर के लिए उड़ान भरी और सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकियों को जल्द से जल्द मार गिराया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हमलावरों को “पशु और अमानवीय” बताते हुए कहा, “यह हाल के वर्षों में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा हमला है।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति के “खोखले दावों” को छोड़कर ठोस कदम उठाने की मांग की।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति के दौरे के बीच बढ़ी चिंता
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर हैं। इसने न केवल कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को भी प्रभावित किया है। सिंगापुर, इजरायल और अर्जेंटीना के राजदूतों ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।
कश्मीर में पर्यटन पर संकट
पहलगाम, अपने हरे-भरे मैदानों, बर्फ से ढके पहाड़ों और शांत वादियों के लिए मशहूर, हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। हाल के वर्षों में आतंकी हिंसा में कमी के बाद पर्यटन में उछाल आया था। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ी थी, लेकिन इस हमले ने पर्यटन उद्योग पर गहरी चोट पहुंचाई है। आगामी अमरनाथ यात्रा, जो 3 जुलाई से शुरू होने वाली है, पर भी सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
आगे क्या?
यह हमला कश्मीर में शांति की नाजुक स्थिति को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकी स्थानीय लोगों का समर्थन खो रहे हैं और पर्यटकों पर हमला कर कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर किया है, खासकर उन पर्यटक स्थलों पर जहां सुरक्षा व्यवस्था अपेक्षाकृत कम होती है।
पहलगाम की खूबसूरत वादियां, जो कभी हंसी-खुशी और पर्यटकों की चहल-पहल से गूंजती थीं, आज खून और आंसुओं से सनी हैं। देश अब एकजुट होकर इस दुख को सह रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस त्रासदी के बाद कश्मीर की शांति और पर्यटन को फिर से पटरी पर लाया जा सकेगा? आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने और निर्दोषों की जान बचाने की जिम्मेदारी अब सुरक्षा बलों और सरकार पर है।