वाराणसी, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। बॉलीवुड के बेबाक फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार मामला उनकी आगामी फिल्म फुले और सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ की गई एक अभद्र टिप्पणी से जुड़ा है। वाराणसी में अनुराग के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि मुंबई, इंदौर, और जयपुर जैसे शहरों में पहले ही उनके खिलाफ FIR हो चुकी हैं। यह विवाद न केवल उनकी फिल्म की रिलीज को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने पर भी गहरे सवाल उठा रहा है।

वाराणसी में उबाल, सड़कों पर गुस्सा
वाराणसी के भेलूपुर थाने में भदैनी निवासी गोविंद चतुर्वेदी की शिकायत पर अनुराग कश्यप के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। गोविंद, जो खुद को ब्राह्मण परिवार से और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं, का कहना है कि अनुराग की टिप्पणी ने पूरे ब्राह्मण समाज को आहत किया है। उन्होंने इसे सनातन धर्म को तोड़ने और सामाजिक एकता को नष्ट करने की साजिश करार दिया। गोविंद ने अनुराग को “राष्ट्र विरोधी” तक कह डाला।
वहीं, ब्राह्मण समाज के अभिनव पांडेय ने तल्ख लहजे में कहा, “अनुराग कश्यप जल्द काशी आएं। हम उन्हें सनातन धर्म और इसके महत्व को समझाएंगे।” वाराणसी की सड़कों पर वकीलों और छात्रों ने अनुराग का पुतला फूंका और जूते से पीटकर अपना गुस्सा जाहिर किया। अधिवक्ताओं ने इसे ब्राह्मण समाज के खिलाफ “अनर्गल और शर्मनाक” टिप्पणी करार देते हुए कहा कि अनुराग जातियों को आपस में लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
आखिर अनुराग ने कहा क्या?
विवाद की जड़ अनुराग की फिल्म फुले से शुरू हुई, जो समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म को 11 अप्रैल को रिलीज होना था, लेकिन जातिवाद के आरोपों और सेंसर बोर्ड (CBFC) के हस्तक्षेप के बाद रिलीज टल गई। CBFC ने फिल्म से कई शब्द जैसे ‘मांग’, ‘महर’, ‘पेशवाई’ हटवाए और डायलॉग में बदलाव करवाए, जैसे “3000 साल पुरानी गुलामी” को “कई साल पुरानी गुलामी” में बदलना। इन बदलावों और देरी से नाराज अनुराग ने सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार, ब्राह्मण समुदाय, और CBFC के खिलाफ तीखी पोस्ट की।
इसी दौरान एक बहस में अनुराग ने कथित तौर पर कहा, “मैं ब्राह्मणों पर पेशाब करूंगा, कोई प्रॉब्लम है।” यह कमेंट वायरल हो गया और देखते ही देखते विवाद ने तूल पकड़ लिया।

मनोज मुंतशिर का पलटवार
इस टिप्पणी पर गीतकार मनोज मुंतशिर ने अनुराग को खुली चुनौती दी। एक वीडियो में उन्होंने कहा, “अनुराग, तुम्हारी न तो आमदनी है, न जानकारी। अपने शब्दों पर कंट्रोल रखो। तुममें इतना दम नहीं कि ब्राह्मणों की गौरवशाली परंपरा को छू सको।” मनोज ने चाणक्य, चंद्रशेखर आजाद, पेशवा बाजीराव, भगवान परशुराम, और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे ब्राह्मण हस्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि अनुराग जैसे “हजारों नफरती आएंगे और चले जाएंगे, लेकिन ब्राह्मणों का गौरव अटल रहेगा।” उन्होंने अनुराग को एक नाम चुनने की चुनौती दी और चेतावनी दी कि हिंदू समाज ऐसे “सनातन द्रोहियों” को माफ नहीं करेगा।
अनुराग की माफी और नया मोड़
विवाद बढ़ने और उनकी बेटी को धमकियां मिलने के बाद अनुराग ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “मैं माफी मांगता हूं, लेकिन अपनी पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक लाइन के लिए, जिसे गलत समझा गया। मेरी बेटी को रेप और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। जो लोग खुद को संस्कारी कहते हैं, वे यह कर रहे हैं।” अनुराग ने अपनी बात पर कायम रहने की बात कही, लेकिन ब्राह्मण समाज से महिलाओं को बख्शने की अपील की। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप कौन से ब्राह्मण हैं, यह तय कर लें।”
फुले का भविष्य अनिश्चित
फुले अब 25 अप्रैल को रिलीज होने वाली है और इसे CBFC से ‘U’ सर्टिफिकेट मिला है। लेकिन विवादों ने फिल्म की राह मुश्किल कर दी है। अनुराग के बयान और सामाजिक तनाव ने इसे एक बड़े सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दे में बदल दिया है।
अंत में
यह विवाद केवल एक टिप्पणी तक सीमित नहीं है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक संवेदनशीलता, और सांस्कृतिक गौरव के बीच टकराव की कहानी है। अनुराग कश्यप का बयान और उसका बाद का असर यह सवाल उठाता है कि क्या कला और अभिव्यक्ति की आड़ में सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने की छूट दी जा सकती है? दूसरी ओर, क्या समाज की प्रतिक्रिया और धमकियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश हैं? यह बहस अभी खत्म नहीं हुई है, और इसका असर न केवल अनुराग की फिल्म, बल्कि बॉलीवुड और सामाजिक माहौल पर लंबे समय तक दिख सकता है।