लखनऊ, 19 अप्रैल 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जहां एक ओर विकास और आधुनिकता की बातें होती हैं, वहीं दूसरी ओर एक ऐसी दिल दहलाने वाली घटना ने शहर को झकझोर कर रख दिया, जिसने महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी। बंथरा इलाके में ब्यूटीशियन छाया की निर्मम हत्या की वारदात ने न केवल एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि समाज के सामने कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए। यह कहानी सिर्फ छाया की नहीं, बल्कि हर उस महिला की है, जो अपने सपनों और मेहनत के बल पर आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन समाज की क्रूरता का शिकार बन जाती है।
मेहंदी लगाने निकली थी, मौत ने गले लगा लिया
छाया, एक स्वतंत्र और मेहनती महिला, जो अपने हुनर से परिवार का सहारा बनी थी। उसका तीन साल का मासूम बच्चा और पति मौनी लाल के साथ उसका छोटा-सा खुशहाल संसार था। 18 अप्रैल 2025 की रात करीब 1 बजे, छाया अपनी चचेरी बहन पलक के साथ काकोरी क्षेत्र में मेहंदी लगाने के लिए निकली। उसे बुलाने वाले सुधांशु ने फोन पर मेहंदी लगाने की बात कही थी। लाल रंग की कार में सवार अजय, विकास, और आदर्श उसे लेने पहुंचे। यह वह पल था, जब छाया का जीवन हमेशा के लिए बदलने वाला था।
रास्ते में, कार में सवार इन तीनों युवकों ने अपनी असली नियत दिखाई। उन्होंने छाया और उसकी बहन के साथ छेड़छाड़ शुरू की और दुष्कर्म का प्रयास किया। छाया ने हिम्मत दिखाते हुए इसका विरोध किया, लेकिन यह उसकी आखिरी जंग साबित हुई। सिरफिरे आरोपियों ने गुस्से में आकर छाया के गले पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसकी चीखें रात के सन्नाटे को चीर रही थीं, लेकिन मदद से पहले उसकी सांसें थम गईं।
हादसे का रूप देने की कोशिश, लेकिन सच आया सामने
आरोपियों ने अपनी करतूत को छिपाने के लिए एक और घिनौना कदम उठाया। उन्होंने रामदासपुर गांव के पास कार को जानबूझकर पलट दिया, ताकि घटना को सड़क हादसे का रूप दिया जा सके। इसके बाद, छाया और उसकी बहन को सड़क पर छोड़कर तीनों मौके से फरार हो गए। चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक छाया की जान जा चुकी थी। उसकी बहन पलक ने जो देखा, वह किसी भी इंसान का दिल दहला दे। उसने आरोपियों की धमकी सुनी, जो कह रहे थे कि अगर किसी को बताया तो पूरे परिवार को मार देंगे।
पुलिस की कार्रवाई और बचे हुए सवाल
मृतका के पति मौनी लाल की तहरीर पर बंथरा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने अजय, विकास, और आदर्श के खिलाफ हत्या, दुष्कर्म के प्रयास, और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। छाया के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दो आरोपी अभी भी फरार हैं। पुलिस का दावा है कि जल्द ही उन्हें भी पकड़ लिया जाएगा।
समाज और सिस्टम से सवाल
छाया की हत्या सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारे समाज और सिस्टम की नाकामी का प्रतीक है। आखिर क्यों एक महिला अपने काम के लिए रात में सुरक्षित नहीं निकल सकती? क्यों विरोध करने की सजा उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है? यह घटना उन तमाम दावों पर सवाल उठाती है, जो महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के नाम पर किए जाते हैं। क्या यह सिर्फ जुमले हैं, जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं?
छाया की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कब तक हम ऐसी खबरें सुनते रहेंगे और चुप रहेंगे? समाज, कानून, और प्रशासन को अब जवाब देना होगा। छाया की मौत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि हर उस महिला की आवाज है, जो अपने हक के लिए लड़ रही है। क्या हम अब भी चुप रहेंगे, या इस बार कुछ बदलेगा?